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मन का मंथन : मुझे संपर्क करें।TRANSLATE THIS PAGE मैं अकेला हूँ , लेकिन फिर भी मैं हूँ.मैं सबकुछ नहीं कर सकता , लेकिन मैं कुछ तो कर सकता हूँ, और सिर्फ इसलिए कि मैं सब कुछ नहीं कर सकता , मैं वो करने से पीछे नहीं मन का मंथन : दुनिया ने मुझे।TRANSLATE THIS PAGE धोखा मुझे तुमने दिया, बेवफा कहा दुनिया ने मुझे, तुम्हे मासूम कहा सबने, पत्थर मारे दुनिया ने मुझे। प्रेम न करता, अगर जानता, मन का मंथन : आवारा न कहें...TRANSLATE THIS PAGE हर उत्सव, त्योहारों पर, होती थी मेरी पूजा, हर पूजा, यज्ञ के भोग का, प्रथम अंश खिलाते थे मुझे। 33 क्रोड़ देव बसते हैं, होता है जहांमेरा
मन का मंथन : मई 2017TRANSLATE THISPAGE
मैं अकेला हूँ , लेकिन फिर भी मैं हूँ.मैं सबकुछ नहीं कर सकता , लेकिन मैं कुछ तो कर सकता हूँ, और सिर्फ इसलिए कि मैं सब कुछ नहीं कर सकता , मैं वो करने से पीछे नहीं मन का मंथन : राखी बांधते हुए, …TRANSLATE THIS PAGE आज हर बहन खुद को असुर्क्षित महसूस कर रही है। राखी बांधते हुए अपने भाइयों से कह रही है। केवल मेरी ही नहीं, हर लड़की की करना रक्षा, भयभीत मन का मंथन : पुष्प और कवि....TRANSLATE THIS PAGE मैं अकेला हूँ , लेकिन फिर भी मैं हूँ.मैं सबकुछ नहीं कर सकता , लेकिन मैं कुछ तो कर सकता हूँ, और सिर्फ इसलिए कि मैं सब कुछ नहीं कर सकता , मैं वो करने से पीछे नहीं मन का मंथन TRANSLATE THIS PAGE मैं अकेला हूँ , लेकिन फिर भी मैं हूँ.मैं सबकुछ नहीं कर सकता , लेकिन मैं कुछ तो कर सकता हूँ, और सिर्फ इसलिए कि मैं सब कुछ नहीं कर सकता , मैं वो करने से पीछे नहीं मन का मंथन : 2020TRANSLATE THIS PAGE मैं अकेला हूँ , लेकिन फिर भी मैं हूँ.मैं सबकुछ नहीं कर सकता , लेकिन मैं कुछ तो कर सकता हूँ, और सिर्फ इसलिए कि मैं सब कुछ नहीं कर सकता , मैं वो करने से पीछे नहीं मन का मंथन : मातृ दिवस- …TRANSLATE THIS PAGE मां जब तक धरा पर रहती है, सुत की खातिर दुख सहती है, खुद भूखी रह, उसे खिलाती, कभी ईशवर, गुरु बन जाती। चिंता करती सुत की हर पल, देती आशीश, सु मन का मंथन : आओ हम बाल-दिवस …TRANSLATE THIS PAGE kuldeep thakur Rohru , Himachal, India कृपा करना मां हाटेशवरी रक्षा करना सदा मेरी। मेरा ये नशवर जीवन, महकाए सदा औरों का उपवन, हृदय में रहे सदा देश प्रेम, करूं सदा मैं काम नेक,फूल
मन का मंथन : मुझे संपर्क करें।TRANSLATE THIS PAGE मैं अकेला हूँ , लेकिन फिर भी मैं हूँ.मैं सबकुछ नहीं कर सकता , लेकिन मैं कुछ तो कर सकता हूँ, और सिर्फ इसलिए कि मैं सब कुछ नहीं कर सकता , मैं वो करने से पीछे नहीं मन का मंथन : दुनिया ने मुझे।TRANSLATE THIS PAGE धोखा मुझे तुमने दिया, बेवफा कहा दुनिया ने मुझे, तुम्हे मासूम कहा सबने, पत्थर मारे दुनिया ने मुझे। प्रेम न करता, अगर जानता, मन का मंथन : आवारा न कहें...TRANSLATE THIS PAGE हर उत्सव, त्योहारों पर, होती थी मेरी पूजा, हर पूजा, यज्ञ के भोग का, प्रथम अंश खिलाते थे मुझे। 33 क्रोड़ देव बसते हैं, होता है जहांमेरा
मन का मंथन : मई 2017TRANSLATE THISPAGE
मैं अकेला हूँ , लेकिन फिर भी मैं हूँ.मैं सबकुछ नहीं कर सकता , लेकिन मैं कुछ तो कर सकता हूँ, और सिर्फ इसलिए कि मैं सब कुछ नहीं कर सकता , मैं वो करने से पीछे नहीं मन का मंथन : राखी बांधते हुए, …TRANSLATE THIS PAGE आज हर बहन खुद को असुर्क्षित महसूस कर रही है। राखी बांधते हुए अपने भाइयों से कह रही है। केवल मेरी ही नहीं, हर लड़की की करना रक्षा, भयभीत मन का मंथन : पुष्प और कवि....TRANSLATE THIS PAGE मैं अकेला हूँ , लेकिन फिर भी मैं हूँ.मैं सबकुछ नहीं कर सकता , लेकिन मैं कुछ तो कर सकता हूँ, और सिर्फ इसलिए कि मैं सब कुछ नहीं कर सकता , मैं वो करने से पीछे नहीं मन का मंथन : ये वर्ष जा रहा है,TRANSLATE THIS PAGE ये वर्ष जा रहा है, संदेश ये सुना रहा है, नया एक दिन पुराना होता, जो आया है, उसे है जाना होता। वक्त कितनी जल्दि बीत गया, हो गया पुराना, जो थ मन का मंथन : दुनिया ने मुझे।TRANSLATE THIS PAGE धोखा मुझे तुमने दिया, बेवफा कहा दुनिया ने मुझे, तुम्हे मासूम कहा सबने, पत्थर मारे दुनिया ने मुझे। प्रेम न करता, अगर जानता, मन का मंथन : कोटी-कोटी नमन तुम …TRANSLATE THIS PAGE हे जन-नायक अटल जी, तुम्हारी शकसियत अनुपम थी। तुम स्तंभ बनकर खड़े रहे, सत्य-पथ पर अड़े रहे, भारत को विश्व-शक्ति बनाया, पाक कोमुंह के बल गि मन का मंथन : आवारा न कहें...TRANSLATE THIS PAGE हर उत्सव, त्योहारों पर, होती थी मेरी पूजा, हर पूजा, यज्ञ के भोग का, प्रथम अंश खिलाते थे मुझे। 33 क्रोड़ देव बसते हैं, होता है जहांमेरा
मन का मंथन : मई 2017TRANSLATE THISPAGE
मैं अकेला हूँ , लेकिन फिर भी मैं हूँ.मैं सबकुछ नहीं कर सकता , लेकिन मैं कुछ तो कर सकता हूँ, और सिर्फ इसलिए कि मैं सब कुछ नहीं कर सकता , मैं वो करने से पीछे नहीं मन का मंथन : MAIN TO TERI JANNI …TRANSLATE THIS PAGE मैं अकेला हूँ , लेकिन फिर भी मैं हूँ.मैं सबकुछ नहीं कर सकता , लेकिन मैं कुछ तो कर सकता हूँ, और सिर्फ इसलिए कि मैं सब कुछ नहीं कर सकता , मैं वो करने से पीछे नहीं मन का मंथन : हुआ था भ्रम, वसंत …TRANSLATE THIS PAGE दो दिन पहले यानी 9 अप्रैल 2018 शाम 3:15 बजे हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के नूरपुर में मलकवाल के निकट चुवाड़ी मार्ग पर भयानक हादसा हुआ ब मन का मंथन : जुलाई 2017TRANSLATE THIS PAGE मैं अकेला हूँ , लेकिन फिर भी मैं हूँ.मैं सबकुछ नहीं कर सकता , लेकिन मैं कुछ तो कर सकता हूँ, और सिर्फ इसलिए कि मैं सब कुछ नहीं कर सकता , मैं वो करने से पीछे नहीं मन का मंथन : जिंदगी की किताब...TRANSLATE THIS PAGE मैं अकेला हूँ , लेकिन फिर भी मैं हूँ.मैं सबकुछ नहीं कर सकता , लेकिन मैं कुछ तो कर सकता हूँ, और सिर्फ इसलिए कि मैं सब कुछ नहीं कर सकता , मैं वो करने से पीछे नहीं मन का मंथन : पुष्प और कवि....TRANSLATE THIS PAGE मैं अकेला हूँ , लेकिन फिर भी मैं हूँ.मैं सबकुछ नहीं कर सकता , लेकिन मैं कुछ तो कर सकता हूँ, और सिर्फ इसलिए कि मैं सब कुछ नहीं कर सकता , मैं वो करने से पीछे नहीं मन का मंथन मैं अकेला हूँ , लेकिन फिर भी मैं हूँ.मैं सबकुछ नहीं कर सकता , लेकिन मैं कुछ तो कर सकता हूँ, और सिर्फ इसलिए कि मैं सब कुछ नहीं कर सकता , मैं वो करने से पीछे नहीं हटूंगा जो मैं कर सकता हूँ.-हेलेन केलर > यहां प्रकाशित रचनाएं > मेरी अपनी हैं। ये सभी > प्रकार की साहित्य विधाओं > में प्रयुक्त शिल्प, छंद, > अलंकार और शैली आदि से > बिलकुल मुक्त है। ये केवल > मेरे मन का मंथन है। स्वागत व अभिनंदन। * मुखपृष्* dash board
* रचनाओं की सूचि। * मेरे बारे में * मुझे संपर्क करें। * रचनाकार में में प्रकाशित रचनाएं। मंगलवार, अक्तूबर 15, 2019 ये केवल सफेद छड़ी नहीं, दृष्टिहीनों की पहचान है.... दुनिया भर की दृष्टिबाधित आबादी का बहुत बड़ा हिस्सा हमारे देश भारत में निवास करता है | दृष्टिबाधित आबादी की आँखे है उनके हाथो से सटी रहने वाली वह सफ़ेदछड़ी
जो उन्हे पथ दिखाती है। हर साल 15 अक्टूबर का दिन इस दृष्टिबाधित आबादी के लिए सबसे अहम दिन होता है सफेद छड़ी न केवल दृष्टिबाधित लोगों के स्वतंत्रता का प्रतीक है बल्कि समाज की उनके प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता को भी प्रतिबिंबित करती है। इस दिवस पर सफेद छड़ी पर ये कविता मेरी ओर से..... क्योंकि किसी भी वस्तु का महत्व वोही जानता है, जो उसका उपयोग करता है। जो साथ उनके सदा रहती, ये उनका स्वाभिमान है.., ये केवल सफेद छड़ी नहीं, दृष्टिहीनों की पहचान है.... पथ में क्या है,, उन्हेबताती,
आत्म निरभरता का मंत्रसिखाती,
चलते हुए उनह्े सुरक्षादेती,
ये दृष्टिहीन है, चलने वालों को बताती। साथ न कोई सदा चलेगा, अकेले चलने में ही शान है, ये केवल सफेद छड़ी नहीं, दृष्टिहीनों की पहचान है.... दृष्टिहीनों की दृष्टि बन, हर ठोकर से उन्हे बचाती है, स्वतंत्रता की प्रतीक हैये,
तिमिर में भी पथ दिखाती है। दृष्टिहीनता अभिशाप नहीं, बाधा है, उनका भी अपना आत्म-सन्मानहै,
ये केवल सफेद छड़ी नहीं, दृष्टिहीनों की पहचान है.... ये भी सामान्य से समार्ट बनगयी है,
बिना इसके दृष्टिहीन की सुरक्षा नहीं है, हर दृष्टिहीन इसका उपयोगकरे,
स्फेद छड़ी दिवस का संदेशयही है।
निडर होकर चलते रहो, चलता है जो, उसका ही सन्मानहै,
ये केवल सफेद छड़ी नहीं, दृष्टिहीनों की पहचान है.... जिसने महत्व तुम्हे दिया, हर पथ उसने पार किया, वो आगे ही बढ़ता रहा, लक्ष्य अंत में पा ही लिया। जो जीवन में संघर्श करता है, उसे ही मिलता मकाम है, ये केवल सफेद छड़ी नहीं, दृष्टिहीनों की पहचान है.... रचनाकार: कुलदीप ठाकुर kuldeepthakur
द्वारा दिनांक मंगलवार, अक्तूबर 15, 2019Reactions:
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कृपा करना मां हाटेशवरी रक्षा करना सदा मेरी। मेरा ये नशवर जीवन, महकाए सदा औरों का उपवन, हृदय में रहे सदा देश प्रेम, करूं सदा मैं काम नेक, फूल हूं या शूल हूं मैं, मैं खुद भी नहीं जानता। मेरा देश हिंदूस्तान है जो सभ्यता सब से महान है, दिखाती है गीता पथ, ये मिला मुझे वर्दान है। मुझे वेदों का उपहार मिला है, मां हाटेशवरी से प्यार मिला है, मेरे आदर्श श्री राम हैं, कंठ में शिव नाम है, विवेका नंद का धर्म है मेरा यही मेरी पहचान है। शनिवार, अगस्त 03, 2019मेंहदी
जब टूटता हैं, पती पत्नी का पावन रिशता, तब रोती है मेंहदी, क्योंकि उसने ही, इनके जीवन में प्रेम के रंग भरे थे...... मेंहदी चाहती है, सब में प्यार बढ़े, केवल प्रेम हो, कोई आपस में न लड़े, किसी के घर न टूटे, किसी से बच्चे न छूटें..... मेंहदी कहती है, अब विवाह केवल पावन बंधन नहीं, समझौता बन कर रह गया है। कृतरिमता के इस दौर में, मेरा मोल भी घटने लगा है..... रचनाकार: कुलदीप ठाकुर kuldeepthakur
द्वारा दिनांक शनिवार, अगस्त 03, 2019Reactions:
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कृपा करना मां हाटेशवरी रक्षा करना सदा मेरी। मेरा ये नशवर जीवन, महकाए सदा औरों का उपवन, हृदय में रहे सदा देश प्रेम, करूं सदा मैं काम नेक, फूल हूं या शूल हूं मैं, मैं खुद भी नहीं जानता। मेरा देश हिंदूस्तान है जो सभ्यता सब से महान है, दिखाती है गीता पथ, ये मिला मुझे वर्दान है। मुझे वेदों का उपहार मिला है, मां हाटेशवरी से प्यार मिला है, मेरे आदर्श श्री राम हैं, कंठ में शिव नाम है, विवेका नंद का धर्म है मेरा यही मेरी पहचान है। सोमवार, दिसंबर 31, 2018 इस नव-वर्ष में..... केवल 2018 की जगह अब, 2019 हुआ है, बताओ, क्या कुछ और बदलेगा? इस नव-वर्ष में..... जहां सुरक्षित नहीं, 4 वर्ष की बेटी भी सुनाई देती हैं अभी भी, चीखें निरभया, गुडिया की, क्या बेटियां भय मुक्त निकल पाएगी बाहर? इस नव-वर्ष में..... क्या नव-विवाहिताएं घरों में सुरक्षित रह पाएंगी? क्या दहेज के लोभियों की भूख मिट जाएगी? क्या एक मर्ित बेटी के पिता को न्याय मिलेगा? इस नव-वर्ष में..... जो जन्म लेना चाहती हैं, पर गर्भ में ही मार दी जातीहैं।
क्या वो बेटियां सुरक्षित रह पाएगी? इस नव-वर्ष में..... जो कुपोषित और बिमार हैं, निर्धनता के कारण लाचारहैं।
क्या मिल पाएगा उन्हे भर पेट खाना? इस नव-वर्ष में..... न बाल-विवाह होने देंगे, न बालकों को बोझ ढोने देंगे, आओ सब का जीवन महकाएं. इस नव-वर्ष में..... रचनाकार: कुलदीप ठाकुर kuldeepthakur
द्वारा दिनांक सोमवार, दिसंबर 31, 2018Reactions:
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कृपा करना मां हाटेशवरी रक्षा करना सदा मेरी। मेरा ये नशवर जीवन, महकाए सदा औरों का उपवन, हृदय में रहे सदा देश प्रेम, करूं सदा मैं काम नेक, फूल हूं या शूल हूं मैं, मैं खुद भी नहीं जानता। मेरा देश हिंदूस्तान है जो सभ्यता सब से महान है, दिखाती है गीता पथ, ये मिला मुझे वर्दान है। मुझे वेदों का उपहार मिला है, मां हाटेशवरी से प्यार मिला है, मेरे आदर्श श्री राम हैं, कंठ में शिव नाम है, विवेका नंद का धर्म है मेरा यही मेरी पहचान है। रविवार, अगस्त 26, 2018 ...उसकी आंखों से देख रहाहूं......
मेरे पास नहीं थी आंखे, पर उन दोनों के पास ही आंखे थी...... एक की आंखों ने मेरी बुझी हुई आंखे देखी ...छोड़ दिया मझधार मेंमुझे.....
एक की आंखों ने बुझी हुई आंखों में भी अपने लिये प्यार देखा, .... कहा, मेरी आंखे हैं तुम्हारे लिये..... मेरी बुझी हुई आंखों ने भी इनकी आंखों में उनकी आंखों की तरह ...कभी लोभ नहीं देखा..... खुशनसीब हूं मैं जो संसार को अपनी आंखों से नहीं ...उसकी आंखों से देख रहाहूं......
रचनाकार: कुलदीप ठाकुर kuldeepthakur
द्वारा दिनांक रविवार, अगस्त 26, 2018Reactions:
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कृपा करना मां हाटेशवरी रक्षा करना सदा मेरी। मेरा ये नशवर जीवन, महकाए सदा औरों का उपवन, हृदय में रहे सदा देश प्रेम, करूं सदा मैं काम नेक, फूल हूं या शूल हूं मैं, मैं खुद भी नहीं जानता। मेरा देश हिंदूस्तान है जो सभ्यता सब से महान है, दिखाती है गीता पथ, ये मिला मुझे वर्दान है। मुझे वेदों का उपहार मिला है, मां हाटेशवरी से प्यार मिला है, मेरे आदर्श श्री राम हैं, कंठ में शिव नाम है, विवेका नंद का धर्म है मेरा यही मेरी पहचान है। शुक्रवार, अगस्त 17, 2018 कोटी-कोटी नमन तुम को..... हे जन-नायक अटल जी, तुम्हारी शकसियत अनुपम थी। तुम स्तंभ बनकर खड़े रहे, सत्य-पथ पर अड़े रहे, भारत को विश्व-शक्ति बनाया, पाक कोमुंह के बल गिराया। निज संस्कृति पर अभिमान था, धर्म-सभ्यता पर मान था। तुम तो जन-जन के प्यारे थे, मां भारती के आंख के तारेथे।
तुम नेताओं में शास्त्रीसे,
कवियों में मैथली शरण थे। तुम भारत की पहचान हो, कोटी-कोटी नमन तुम को..... आजाद शत्रु, सभी मित्र, बेदाग और आदर्श चरित्र। न रुके कहीं, न झुके कभी, राजनीति में जिये, बनकर रवी, ओ भारत के अनुमोल-रतन, राम राज्य आये, तुमने कियेयतन।
नम है नैन, रतन चला गया, सुना है, भाजपा का कमल चलागया।
ऐ मौत तु, इतनी मत इतरा, वो मन से मरे, जी भर के जिया। तु मारती है केवल, नशवर तनको,
नहीं मार सकती, अटल से जन को। सुभाष गांधी की तरह तुम अमरहो,
कोटी-कोटी नमन तुम को..... रचनाकार: कुलदीप ठाकुर kuldeepthakur
द्वारा दिनांक शुक्रवार, अगस्त 17, 2018Reactions:
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कृपा करना मां हाटेशवरी रक्षा करना सदा मेरी। मेरा ये नशवर जीवन, महकाए सदा औरों का उपवन, हृदय में रहे सदा देश प्रेम, करूं सदा मैं काम नेक, फूल हूं या शूल हूं मैं, मैं खुद भी नहीं जानता। मेरा देश हिंदूस्तान है जो सभ्यता सब से महान है, दिखाती है गीता पथ, ये मिला मुझे वर्दान है। मुझे वेदों का उपहार मिला है, मां हाटेशवरी से प्यार मिला है, मेरे आदर्श श्री राम हैं, कंठ में शिव नाम है, विवेका नंद का धर्म है मेरा यही मेरी पहचान है। शुक्रवार, अगस्त 10, 2018 श्री की जगह शहीद लिखतीहूं.......
[मेरी इस कविता में एक शहीद की बेटी के भावों को प्रकट करने का प्रयास किया गयाहै....}
जब तुम पापा! आये थे घर तिरंगे में लिपटकर तब मैं बहुत रोई थी.... शायद तब मैं बहुत छोटी थी, बताया गया था मुझे, तुम मर चुके हो.... मुझे याद है पापा! कहा था जाते हुए तुमने मैं दिवाली पर आऊंगा, तुम्हारे लिये बहुत से उपहार लेकर..... तुम्हारी पुचकार से, मैं हंस पड़ी थी उस दिन क्या पता था मुझे, नहीं आओगे लौटकर अब.... जब स्कूल में बाते करते थे सब अपने पापा के दुलार की तब तुम्हारी याद रुलाती थीमुझे....
उमर बढ़ने के साथ साथ सत्य जाना मैंने, तुमने मुझे क्या दिया, अब उसे पहचाना मैंने.... कौन कहता है, तुम मरे हो, देखो-देखो तुम तो महा-वीरों की कतार में खड़ेहो.......
मुझे गर्व होता है, जब मैं तुम्हारे नाम सेपहले
श्री की जगह शहीद लिखती हूं....... तुमने तो पापा निभा दिया अपना फर्ज उतार दिया मां का कर्ज, मां का सर झुकने न दिया..... अब तो पापा! जानते हैं सभी पहचानते हैं मुझे भी तुम्हारे नाम से....ओ पापा!
मेरे पास जीने के लिये, तुम्हारा नाम ही काफी है, मत उदास होना कभी मेरेलिये......
रचनाकार: कुलदीप ठाकुर kuldeepthakur
द्वारा दिनांक शुक्रवार, अगस्त 10, 2018Reactions:
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कृपा करना मां हाटेशवरी रक्षा करना सदा मेरी। मेरा ये नशवर जीवन, महकाए सदा औरों का उपवन, हृदय में रहे सदा देश प्रेम, करूं सदा मैं काम नेक, फूल हूं या शूल हूं मैं, मैं खुद भी नहीं जानता। मेरा देश हिंदूस्तान है जो सभ्यता सब से महान है, दिखाती है गीता पथ, ये मिला मुझे वर्दान है। मुझे वेदों का उपहार मिला है, मां हाटेशवरी से प्यार मिला है, मेरे आदर्श श्री राम हैं, कंठ में शिव नाम है, विवेका नंद का धर्म है मेरा यही मेरी पहचान है। सोमवार, अप्रैल 16, 2018 यहां तो हर घटना को राजनीति रंग में रंगा जाता है..... ये भीख मांग रहे बच्चे, किस धर्म के हैं? इनकी जात क्या है? न हिंदू को इस से मतलब, न मुस्लमान को....... कारखानों या ढाबों पर, काम कर रहे बच्चों से नहीं पूछते उनका मजहब। कोई नहीं पहचानता, ये उनकी जात, मजहब के हैं.... जब एक बेटी का जबरन बाल-विवाह होता है, साथ देते हैं सब, जात-मजहब के लोग, नहीं करता कोई भी विरोधइसका.....
पर रेप या हत्या के बाद पहचान लेते हैं सब पिड़ित या निरजीव शव को ये हमारे मजहब का था, मारने वाले दूसरे मजहब के...... निरभया का नाम छुपाया गया, गुड़िया का नाम भी दबायागया,
देदेते आसिफा को भी कोई औरनाम।
वो केवल मासूम बेटी थी, क्यों बताया गया उसका मजहब क्या था.... काश हर मजहब के लोग, अपने मजहब को समझ पाते, न रेप होता, न हत्या। यहां तो हर घटना को राजनीति रंग में रंगा जाताहै.....
रचनाकार: कुलदीप ठाकुर kuldeepthakur
द्वारा दिनांक सोमवार, अप्रैल 16, 2018Reactions:
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कृपा करना मां हाटेशवरी रक्षा करना सदा मेरी। मेरा ये नशवर जीवन, महकाए सदा औरों का उपवन, हृदय में रहे सदा देश प्रेम, करूं सदा मैं काम नेक, फूल हूं या शूल हूं मैं, मैं खुद भी नहीं जानता। मेरा देश हिंदूस्तान है जो सभ्यता सब से महान है, दिखाती है गीता पथ, ये मिला मुझे वर्दान है। मुझे वेदों का उपहार मिला है, मां हाटेशवरी से प्यार मिला है, मेरे आदर्श श्री राम हैं, कंठ में शिव नाम है, विवेका नंद का धर्म है मेरा यही मेरी पहचान है। बुधवार, अप्रैल 11, 2018 हुआ था भ्रम, वसंत आया है, दो दिन पहले यानी 9 अप्रैल 2018 शाम 3:15 बजे हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के नूरपुर में मलकवाल के निकट चुवाड़ी मार्ग पर भयानक हादसा हुआ बजीर राम सिंह पठानिया मेमोरियल स्कूल की बस करीब 200 फीट गहरी खाई में जा गिरी। हादसे में 27 बच्चों समेत 30 लोगों की मौत हो गई है जबकि कई बच्चे घायल भी हुए हैं। इस घटना से मन बहुत आहत है...... तेरी धरा पर, ओ मां भवानी, हर नेत्र में है, क्यों आजपानी,
तुझसे मांगे थे फूल जो, निष प्राण पड़े हैं, आज धरापे वो,
टूट गयी एक मां की आस, खंडित हो गया पिता का विश्वास। न नजर लगे, तिलक लगाया था, चूम के माथा, बस में बिठायाथा।
भाती-भांती के पकवान बनाए, प्रतीक्षा में थी मां, बच्चे घर आये। तभी आई खबर, वो नहीं आएंगे, रो पड़े खिलौने, हम कहां जाएंगे। अमिट उदासी छा गयी मन में, छा गया मातम घर आंगन में। पल भर में ये क्या हो गया, जो पास था, सब कुछ खो गया। हुआ था भ्रम, वसंत आया है, ये कैसा वसंत, जो रोदन लायाहै।
रचनाकार: कुलदीप ठाकुर kuldeepthakur
द्वारा दिनांक बुधवार, अप्रैल 11, 2018Reactions:
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कृपा करना मां हाटेशवरी रक्षा करना सदा मेरी। मेरा ये नशवर जीवन, महकाए सदा औरों का उपवन, हृदय में रहे सदा देश प्रेम, करूं सदा मैं काम नेक, फूल हूं या शूल हूं मैं, मैं खुद भी नहीं जानता। मेरा देश हिंदूस्तान है जो सभ्यता सब से महान है, दिखाती है गीता पथ, ये मिला मुझे वर्दान है। मुझे वेदों का उपहार मिला है, मां हाटेशवरी से प्यार मिला है, मेरे आदर्श श्री राम हैं, कंठ में शिव नाम है, विवेका नंद का धर्म है मेरा यही मेरी पहचान है। शुक्रवार, फ़रवरी 23, 2018 एक प्रश्न एक प्रश्नवो बेटी
ईश्वर से पूछती है, क्यों भेजा गया मुझे उस गर्भ में, जहां मेरी नहीं बेटे की चाह थी.... एक प्रश्नवो बेटी
उस मां से पूछती है, "तुम तो मां हो क्या तुम भी आज न बचाओगी मुझे इन जालिमों से?....." "एक प्रश्नवो बेटी
उस पिता से पूछती है, "क्यों बोझ मान लिया मुझे? मेरे जन्म से पहले ही, क्या किसी बेटी को देखा है, बूढ़े माता-पिता को वृद्ध आश्रम में भेजते हुए?...." एक प्रश्नवो बेटी
उस चकितसक से पूछती है, "तुम्हारा कर्म जीवन बचाना है, मुझे भी जीना है, क्या आने दोगे मुझे दुनियामें?...."
एक प्रश्नवो बेटी
इस समाज से पूछती है, "कब तक होता रहेगा भेद-भाव, बेटा और बेटी में? अग्नी परीक्षा देकर भी कब तक सीता को वनवास मिलता रहेगा?...." इन प्रश्नों के उत्तर की प्रतीक्षा में थीवो,
तभी सुनाई दिया उसे, पैसों का लेन-देन, उस जालिम ने जितने मांगे, क्रूर पिता ने उतने ही दिये, फिर तीखे औजारों से मिटा दिया उसे..... ये प्रश्न एक बेटी नहीं हजारों बेटियां पूछती है, ईश्वर से, और समाज से, माता-पिता और चकितसक से> नहीं मिलता उन्हे उत्तर, और मार दी जाती है.... रचनाकार: कुलदीप ठाकुर kuldeepthakur
द्वारा दिनांक शुक्रवार, फ़रवरी 23, 2018Reactions:
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कृपा करना मां हाटेशवरी रक्षा करना सदा मेरी। मेरा ये नशवर जीवन, महकाए सदा औरों का उपवन, हृदय में रहे सदा देश प्रेम, करूं सदा मैं काम नेक, फूल हूं या शूल हूं मैं, मैं खुद भी नहीं जानता। मेरा देश हिंदूस्तान है जो सभ्यता सब से महान है, दिखाती है गीता पथ, ये मिला मुझे वर्दान है। मुझे वेदों का उपहार मिला है, मां हाटेशवरी से प्यार मिला है, मेरे आदर्श श्री राम हैं, कंठ में शिव नाम है, विवेका नंद का धर्म है मेरा यही मेरी पहचान है। शनिवार, जनवरी 13, 2018 न जलता है अब वो आलाव मेरे बचपन के दिनों में, जब होता था हिमपात, जलाकर आती-रात तक आलाव, बैठते थे सब एक साथ.... याद आती हैं सबसे अधिक पूस-माघ की वो लंबी रातें, दादा-दाती की कहानियां, बजुरगों की कही सच्चीबातें....
अब तो बर्फ के दिनों में भी, आलाव नहीं, आग जलती है, जो कर गये स्थान रिक्त, उनकी कमी खलती हैं.... बैठते तो हैं आज भी, आग जलाकर एक साथ, सबके हाथ में मोबाइल होताहै,
नहीं करते आपस में बात.... न जलता है अब वो आलाव, न वो मेल-मिलाप रहां, न पहले सी बर्फ गिरती है, अब पहले से लोग कहां.... रचनाकार: कुलदीप ठाकुर kuldeepthakur
द्वारा दिनांक शनिवार, जनवरी 13, 2018Reactions:
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कृपा करना मां हाटेशवरी रक्षा करना सदा मेरी। मेरा ये नशवर जीवन, महकाए सदा औरों का उपवन, हृदय में रहे सदा देश प्रेम, करूं सदा मैं काम नेक, फूल हूं या शूल हूं मैं, मैं खुद भी नहीं जानता। मेरा देश हिंदूस्तान है जो सभ्यता सब से महान है, दिखाती है गीता पथ, ये मिला मुझे वर्दान है। मुझे वेदों का उपहार मिला है, मां हाटेशवरी से प्यार मिला है, मेरे आदर्श श्री राम हैं, कंठ में शिव नाम है, विवेका नंद का धर्म है मेरा यही मेरी पहचान है। सोमवार, दिसंबर 25, 2017 इनकी शहादत तक भूल गये 13 पौष तदानुसार 26 दिसंबर 1705 को जब देश में मुगलों का शासन था और सरहिंद में सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह के दो मासूम बेटों सात वर्ष के जोरावर सिंघ तथा पाँच वर्ष के फतेह सिंघ को दीवार में जिंदा चुनवाया गया था.... कहते हैं कि साहिबज़ादों को कचहरी में लाकर डराया धमकाया गया। उनसे कहा गया कि यदि वे इस्लाम अपना लें तो उनका कसूर माफ किया जा सकता है और उन्हें शहजादोंजैसी
सुख-सुविधाएँ प्राप्त हो सकती हैं। किन्तु साहिबज़ादे अपने निश्चय पर अटल रहे। उनकी दृढ़ता थी कि सिक्खी की शान केशों श्वासों के सँग निभानी हैं। उनकी दृढ़ता को देखकर उन्हें किले की दीवार की नींव में चिनवाने की तैयारी आरम्भ कर दी गई किन्तु बच्चों को शहीद करने के लिए कोई जल्लाद तैयार नहुआ।
अकस्मात दिल्ली के शाही जल्लाद साशल बेग व बाशल बेग अपने एक मुकद्दमें के सम्बन्ध में सरहिन्द आये। उन्होंने अपने मुकद्दमें में माफी का वायदा लेकर साहिबज़ादों को शहीद करना मान लिया। बच्चों को उनके हवाले कर दिया गया। उन्होंने जोरावर सिंघ व फतेह सिंघ को किले की नींव में खड़ा करके उनके आसपास दीवार चिनवानी प्रारम्भकर दी।
बनते-बनते दीवार जब फतेह सिंघ के सिर के निकट आ गई तो जोरावर सिंघ दुःखी दिखने लगे। काज़ियों ने सोचा शायद वे घबरा गए हैं और अब धर्म परिवर्तन के लिए तैयार हो जायेंगे। उनसे दुःखी होने का कारण पूछा गया तो जोरावर बोले मृत्यु भय तो मुझे बिल्कुल नहीं। मैं तो सोचकर उदास हूँ कि मैं बड़ा हूं, फतेह सिंघ छोटा हैं। दुनियाँ में मैं पहले आया था। इसलिए यहाँ से जाने का भी पहला अधिकार मेरा है। फतेह सिंघ को धर्म पर बलिदान हो जाने का सुअवसर मुझ से पहले मिलरहा है।
छोटे भाई फतेह सिंघ ने गुरूवाणी की पँक्ति कहकर दो वर्ष बड़े भाई को साँत्वनादी:
चिंता ताकि कीजिए, जो अनहोनी होइ ।। इह मारगि सँसार में, नानक थिर नहि कोइ ।। इन दोनों शहीदों को मेरा कोटी-कोटी नमन.... मैं पौष हूं, मैंने देखेहैं,
महाभारत से युद्ध भी होतेहुए,
रक्त के सागर देखे हैं, पर न देखा मुझे कभी रोतेहुए....
रोता हूं मैं भी हरबार, याद आती है सरहिंद कीदिवार,
जब दो भाइयों को इसमे चिनवाते देखा, छोटे के लिये बड़े को रोतेदेखा....
गंगु रसोइया , सुच्चा नँद , ये दोनों धब्बे हैं हिंदू धर्म पर, सबसे महान था वो पठान, कहा नवाब से, इन पर दया कर.... धन्य है दशम गुरु, धन्य थे ये दोनों लाल, प्राण दिये पर धर्म न छोड़ा, शहादत की जलाई मशाल.... क्रिसमस और नव-वर्ष का, हम खूब जश्न मना रहे हैं, इनकी शहादत तक भूल गये, सोचो हम कहां जा रहे हैं?.... रचनाकार: कुलदीप ठाकुर kuldeepthakur
द्वारा दिनांक सोमवार, दिसंबर 25, 2017Reactions:
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कृपा करना मां हाटेशवरी रक्षा करना सदा मेरी। मेरा ये नशवर जीवन, महकाए सदा औरों का उपवन, हृदय में रहे सदा देश प्रेम, करूं सदा मैं काम नेक, फूल हूं या शूल हूं मैं, मैं खुद भी नहीं जानता। मेरा देश हिंदूस्तान है जो सभ्यता सब से महान है, दिखाती है गीता पथ, ये मिला मुझे वर्दान है। मुझे वेदों का उपहार मिला है, मां हाटेशवरी से प्यार मिला है, मेरे आदर्श श्री राम हैं, कंठ में शिव नाम है, विवेका नंद का धर्म है मेरा यही मेरी पहचान है। शनिवार, दिसंबर 23, 2017 ओ जाते हुए वर्ष, ओ जाते हुए वर्ष, जब तु आया था, जोष था, उमीदे थी, सब ओर हर्ष छाया था.... मुझे भी प्रतीक्षा थी तेरी, कई दिनों पहले से ही, अभिनंदन मैंने भी किया था तुम्हारा, उमीद में कुछ नये की.... पर तब मैं नहीं जानता था, तु मेरे लिये नया कुछ भी नहीं लाया है, जो तब मेरे पास था, तु उसे मुझसे छीनने आयाहै....
हम पुराने से अच्छा नये को मानते हैं, नया क्या लेकर आयेगा, हम नहीं जानते हैं.... जब भी कुछ नया होता है, अच्छा होगा, हम मन को बहलातेहैं,
होनी तो होकर रहती है, चंद पलों के लिये खुश हो जाते हैं..... रचनाकार: कुलदीप ठाकुर kuldeepthakur
द्वारा दिनांक शनिवार, दिसंबर 23, 2017Reactions:
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कृपा करना मां हाटेशवरी रक्षा करना सदा मेरी। मेरा ये नशवर जीवन, महकाए सदा औरों का उपवन, हृदय में रहे सदा देश प्रेम, करूं सदा मैं काम नेक, फूल हूं या शूल हूं मैं, मैं खुद भी नहीं जानता। मेरा देश हिंदूस्तान है जो सभ्यता सब से महान है, दिखाती है गीता पथ, ये मिला मुझे वर्दान है। मुझे वेदों का उपहार मिला है, मां हाटेशवरी से प्यार मिला है, मेरे आदर्श श्री राम हैं, कंठ में शिव नाम है, विवेका नंद का धर्म है मेरा यही मेरी पहचान है। गुरुवार, दिसंबर 07, 2017होनी....
नहीं करते कल्पना जिसकी, जीवन में वो भी घट जाता है, ये कैसे हुआ, क्यों हुआ, आदमी सोचता रह जाता है.... नहीं जानता ये मनुज, कल क्या होने वाला है, वो तो अपने हिसाब से, शुभ-शुभ सोचता जाता है..... हमने अलिशान महल को, खंडर होते देखा है, हरे-भरे उपवन को भी, बंजर होते देखा है.... होनी तो होकर रहती है, मानव चाहे जो भी कर, वक्त एक दिन बदलेगा, रख भरोसा ईश्वर पर..... रचनाकार: कुलदीप ठाकुर kuldeepthakur
द्वारा दिनांक गुरुवार, दिसंबर 07, 2017Reactions:
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द्वारा दिनांक सोमवार, दिसंबर 04, 2017Reactions:
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कृपा करना मां हाटेशवरी रक्षा करना सदा मेरी। मेरा ये नशवर जीवन, महकाए सदा औरों का उपवन, हृदय में रहे सदा देश प्रेम, करूं सदा मैं काम नेक, फूल हूं या शूल हूं मैं, मैं खुद भी नहीं जानता। मेरा देश हिंदूस्तान है जो सभ्यता सब से महान है, दिखाती है गीता पथ, ये मिला मुझे वर्दान है। मुझे वेदों का उपहार मिला है, मां हाटेशवरी से प्यार मिला है, मेरे आदर्श श्री राम हैं, कंठ में शिव नाम है, विवेका नंद का धर्म है मेरा यही मेरी पहचान है। सोमवार, नवंबर 13, 2017 आओ हम बाल-दिवस मनाएं, इन बच्चों को इनके अधिकारदिलाएं,
मेरे भारत में सब के लिये रोटी हैं? न जाने इन बच्चों को भोजन क्यों नहीं मिलता। आंगनबाड़ी स्कूल में, दोपहर का भोजन मिलता है, डिपुओं में निशुल्क भावमें,
ससता राषण दिया जाता है, हर गाड़ी के आते ही, क्यों ये हाथ फैलाते हैं, ये गाड़ी से फैंके झूठन से, अपनी भूख मिटाते हैं.... ये किस पिता के लाल हैं, ये किस मां की संतान हैं, जो हर रोज यहां आते हैं, केवल झूठन ही खाते हैं। माता-पिता का करतव्य था, क्या केवल इन्हे जन्म देना? पशु-पक्षी भी निज बच्चों केलिये,
भोजन खुद लाते हैं, ये गाड़ी से फैंके झूठन से, अपनी भूख मिटाते हैं.... आओ हम बाल-दिवस मनाएं, इन बच्चों को इनके अधिकारदिलाएं,
जिन माता-पिता ने इन्हे जन्म दिया, रोटी देना भी उन्ही की जिमेवारी है, जो पिता नशे में मस्त हैं, वो दंड के अधिकारी हैं। कुछ पिता नशे के लिये, सब कुछ ही खा जाते हैं, ये गाड़ी से फैंके झूठन से, अपनी भूख मिटाते हैं.... रचनाकार: कुलदीप ठाकुर kuldeepthakur
द्वारा दिनांक सोमवार, नवंबर 13, 2017Reactions:
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कृपा करना मां हाटेशवरी रक्षा करना सदा मेरी। मेरा ये नशवर जीवन, महकाए सदा औरों का उपवन, हृदय में रहे सदा देश प्रेम, करूं सदा मैं काम नेक, फूल हूं या शूल हूं मैं, मैं खुद भी नहीं जानता। मेरा देश हिंदूस्तान है जो सभ्यता सब से महान है, दिखाती है गीता पथ, ये मिला मुझे वर्दान है। मुझे वेदों का उपहार मिला है, मां हाटेशवरी से प्यार मिला है, मेरे आदर्श श्री राम हैं, कंठ में शिव नाम है, विवेका नंद का धर्म है मेरा यही मेरी पहचान है। सोमवार, अक्तूबर 23, 2017 हम भारत के मत दाता है.... हम भारत के मत दाता है.... हमारे पास मत देने काअधिकार
आज से नहीं त्रेता युग से है, हमने तब भी अपना मत दिया था श्रीराम को राजा बनाने केलिये
"श्री राम हमारे राजा होंगे" पर श्री राम को वनों में भेजा गया हमने नहीं पूछा तब भी राजा से हमारे मत के अधिकार का क्याहुआ?
हम भारत के मत दाता है.... हमारे पास मत देने काअधिकार
द्वापर में भी था हमने सर्वमत से युधिष्ठिर को राजा बनाया पर शकुनी की एक चाल ने द्युत खेल कर पांचों पांडवों को वनवास भेज दिया। हम महाभारत से युद्ध में हाथी घोड़ों की तरह मर सकते हैं, पर राजा से अपने मत के अधिकार के लिये नहीं लड़ सकते। हम भारत के मत दाता है.... हैं तो हम बहुत भाग्यशाली क्योंकि ये मत का अधिकार आज भी हमारे पास हैं शताबदियां बदल गयी युग बदल गये पर हम आज भी नहीं बदले, क्योंकि हम अपना मत देकर आज भी नहीं पूछते हमारे मत का क्या हुआ? रचनाकार: कुलदीप ठाकुर kuldeepthakur
द्वारा दिनांक सोमवार, अक्तूबर 23, 2017Reactions:
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पर इस दिवाली पर भी, हम जलाएंगे दीपक करेंगे प्रकाश, तुम्हारे लिये.... हम जानते हैं तुम्हे अपने घर में फैला हुआ अंधकार अच्छा नहीं लगेगा... हम ये भी जानते हैं तुम आओगे किसी न किसी रूप में हमारे साथ दिवाली मनाने.... न सजा पाएंगे घर को, न बन सकेंगे वो पकवान आहत मन से ही सही एक दीपक अवश्य जलाएंगे.... रचनाकार: कुलदीप ठाकुर kuldeepthakur
द्वारा दिनांक सोमवार, अक्तूबर 16, 2017Reactions:
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कृपा करना मां हाटेशवरी रक्षा करना सदा मेरी। मेरा ये नशवर जीवन, महकाए सदा औरों का उपवन, हृदय में रहे सदा देश प्रेम, करूं सदा मैं काम नेक, फूल हूं या शूल हूं मैं, मैं खुद भी नहीं जानता। मेरा देश हिंदूस्तान है जो सभ्यता सब से महान है, दिखाती है गीता पथ, ये मिला मुझे वर्दान है। मुझे वेदों का उपहार मिला है, मां हाटेशवरी से प्यार मिला है, मेरे आदर्श श्री राम हैं, कंठ में शिव नाम है, विवेका नंद का धर्म है मेरा यही मेरी पहचान है। शुक्रवार, अगस्त 18, 2017 ....हमारी ओर से भी अब पासे श्री कृष्ण फैंकेंगे.... आज़ादी की 71वीं वर्षगाँठ पर पूछता हूं मैं, भ्रष्ट नेताओं से बिके हुए अधिकारियों से, स्वतंत्रता दिवस पर या गणतंत्रता दिवस पर तुम तिरंगा क्यों लहरातेहो?
...तुम क्या जानो तिरंगे कामोल...
एक वो थे, जो आजादी के लिये मर-मिटे एक ये हैं, जो आजादी को मिटा रहे नेताओं को चंदा मिल रहा, और अधिकारियों को कमिशन फिर राष्ट्रीय दिवस क्यों मनाते हो? ...तुम क्या जानों इन पर्वों का मोल.... कल हम अंग्रेजों के गुलामथे,
और आज भ्रष्टाचार के कल जयचंद के कारण गुलाम हुए, आज भी कुछ लोग हैं उसी परिवार के, जो रक्षकों पर पत्थर बरसारहे,
चो वंदे मातरम न गा रहे, होने वाला है कृष्ण का अवतार अब, ...तुम क्या जानो श्री-कृष्ण कौन है.... देख लिया कौरवों को हस्तिनापुर देकर भी, हमारे बापू भिष्म ने झेली पीड़ा विभाजन की। अब न तुम्हारे पास भिष्म है न द्रौण, न करण, तुम्हारे पास भले ही आज भी शकुनी है, ....हमारी ओर से भी अब पासे श्री कृष्ण फैंकेंगे.... रचनाकार: कुलदीप ठाकुर kuldeepthakur
द्वारा दिनांक शुक्रवार, अगस्त 18, 2017Reactions:
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कृपा करना मां हाटेशवरी रक्षा करना सदा मेरी। मेरा ये नशवर जीवन, महकाए सदा औरों का उपवन, हृदय में रहे सदा देश प्रेम, करूं सदा मैं काम नेक, फूल हूं या शूल हूं मैं, मैं खुद भी नहीं जानता। मेरा देश हिंदूस्तान है जो सभ्यता सब से महान है, दिखाती है गीता पथ, ये मिला मुझे वर्दान है। मुझे वेदों का उपहार मिला है, मां हाटेशवरी से प्यार मिला है, मेरे आदर्श श्री राम हैं, कंठ में शिव नाम है, विवेका नंद का धर्म है मेरा यही मेरी पहचान है। गुरुवार, जुलाई 20, 2017 ओ गुड़िया! ओ गुड़िया! तुम ने भी तो हवस के उन दरिंदों से अपनी रक्षा के लिये. द्रौपदी की तरह ईश्वर को ही पुकारा होगा पर तुम्हे बचाने ....ईश्वर भी नहीं आए.... ओ गुड़िया! तुम भी तो उसी देश की बेटी थी जहां बेटियों को देवी समझकर पूजा जाता है जहां की संस्कृति में कन्या ही दुर्गा का रूप है. ओ मां चंडी! क्या कलियुग में तुम ने भी असुरों को दंड देना छोड़दिया?
....ये जालिम तो शुंभ-निशुंभ से भी पापी हैं.... ओ गुड़िया! तुमने भी सपने देखें थे झांसी की रानी, कल्पनाचावला
और भी ऊंची उड़ान भरने के, ऊंची उड़ान भरने से पहले ही तुम्हे नोच दिया उन जालिम दरिंदों ने. न तुम रो सकती हो अब न तुम जी सकती थी अब ...तुम्हे पाषाण बना दिया है इन जालिमों ने.... ओ गुड़िया! तुम फूल थी मसल दिया तुमको, पर अब तुम अंगारा बन गयी हो ये अंगारा अवश्य हीएक दिन
हनुमान की पूंछ की आग की तरह इन दुष्ट रावणों की लंका के साथ-साथ इस बार तो रावण को भी .... भस्म कर देगी.... रचनाकार: कुलदीप ठाकुर kuldeepthakur
द्वारा दिनांक गुरुवार, जुलाई 20, 2017Reactions:
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चिंगारी,
निर्भय
kuldeep thakur
कृपा करना मां हाटेशवरी रक्षा करना सदा मेरी। मेरा ये नशवर जीवन, महकाए सदा औरों का उपवन, हृदय में रहे सदा देश प्रेम, करूं सदा मैं काम नेक, फूल हूं या शूल हूं मैं, मैं खुद भी नहीं जानता। मेरा देश हिंदूस्तान है जो सभ्यता सब से महान है, दिखाती है गीता पथ, ये मिला मुझे वर्दान है। मुझे वेदों का उपहार मिला है, मां हाटेशवरी से प्यार मिला है, मेरे आदर्श श्री राम हैं, कंठ में शिव नाम है, विवेका नंद का धर्म है मेरा यही मेरी पहचान है। मंगलवार, जुलाई 11, 2017 पर सब ईश्वर नहीं बनते।.... ओ पिता जी अब तो तुम भी ईश्वर बन गये हो,तभी तो
ईश्वर की तसवीर के साथ तुम्हारी तसवीर भी हार पहनाकर दिवार पर टांग दी गयी है.... ये तुम्हारी तसवीर भी जैसे मानो कह रही हो हम से मैं मरा नहीं, अभी भी जीवित हूं, घर की हर चीज में, तुम्हारी यादों में भी। मरते तो हर रोज कई हैं। पर सब ईश्वर नहीं बनते।.... रचनाकार: कुलदीप ठाकुर kuldeepthakur
द्वारा दिनांक मंगलवार, जुलाई 11, 2017Reactions:
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कृपा करना मां हाटेशवरी रक्षा करना सदा मेरी। मेरा ये नशवर जीवन, महकाए सदा औरों का उपवन, हृदय में रहे सदा देश प्रेम, करूं सदा मैं काम नेक, फूल हूं या शूल हूं मैं, मैं खुद भी नहीं जानता। मेरा देश हिंदूस्तान है जो सभ्यता सब से महान है, दिखाती है गीता पथ, ये मिला मुझे वर्दान है। मुझे वेदों का उपहार मिला है, मां हाटेशवरी से प्यार मिला है, मेरे आदर्श श्री राम हैं, कंठ में शिव नाम है, विवेका नंद का धर्म है मेरा यही मेरी पहचान है। शनिवार, जून 24, 2017 पर खुद भूखे मर रहे हैं। किसान आज से नहीं, सदियों से आत्महत्या कर रहेहैं,
उगाते तो हम अनाज हैं, पर खुद भूखे मर रहे हैं। मैंने एक और किसान कि आत्महत्या के बाद आंदोलन कर रही भीड़ के एक बूढ़े किसान से पूछा वो किसान क्यों मरा? "बेटा वो मरा नहीं आज तो वो जिवित हुआ, मरा तो वो पहले कई बार, एक बार नहीं हजार बार न तब कोई आंदोलन हुए, न कोई चर्चा, ये केवल वोट के भूखे, इस आग को सुलगा रहे हैं" उगाते तो हम अनाज हैं, पर खुद भूखे मर रहे हैं। वो बुढ़ा किसान कांपते स्वर में फिर बोला, "ये आंदोलन थम जाएगा, एक और किसान की आत्महत्यातक,
यही हुआ है, होगा भी यही, बंटे हुए हैं जब तक किसान, जब तक हम सभी किसान, आत्महत्या कर रहे किसानों की पीड़ा को अपनी पीडा नहीं मान लेते, आंदोलन हम स्वयम् नहीं, इशारों से करते रहेंगे, तब तक किसान भी आत्महत्या करते ही रहेंगे। हमे आपस में बांट कर, वो कुर्सी के लिये पथ बना रहे हैं" उगाते तो हम अनाज हैं, पर खुद भूखे मर रहे हैं। रचनाकार: कुलदीप ठाकुर kuldeepthakur
द्वारा दिनांक शनिवार, जून24, 2017
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क्रांतिkuldeep thakur
कृपा करना मां हाटेशवरी रक्षा करना सदा मेरी। मेरा ये नशवर जीवन, महकाए सदा औरों का उपवन, हृदय में रहे सदा देश प्रेम, करूं सदा मैं काम नेक, फूल हूं या शूल हूं मैं, मैं खुद भी नहीं जानता। मेरा देश हिंदूस्तान है जो सभ्यता सब से महान है, दिखाती है गीता पथ, ये मिला मुझे वर्दान है। मुझे वेदों का उपहार मिला है, मां हाटेशवरी से प्यार मिला है, मेरे आदर्श श्री राम हैं, कंठ में शिव नाम है, विवेका नंद का धर्म है मेरा यही मेरी पहचान है। सोमवार, मई 22, 2017 ओ मेरे पूज्य पिता जी, "हे ईश्वर मेरे पूजनीय पिता जी को....अपने पावन चरणों में स्थान देना...." ओ मेरे पूज्य पिता जी, कल तक मैं खुद को दुनिया का सब से बड़ा आदमी समझता था क्यों कि मेरे सिर पर तुम्हारा हाथ था.... हम नहीं जानते हम कौन हैं, पर तुम भिष्म थे, जिन्होंने हमारे घर रूपी हस्तिनापुर को चारों ओर से सुर्क्षित करके ही,
ये भू लोक त्यागा... जब से दुनिया में आएं हैं, न ईश्वर को देखा कभी ब्रह्मा थे तुम हमे जन्म देने वाले, विष्णु थे तुम ही हमारा पालन करने वाले....तुम तो
नील-कंठ शिव थे, जिन्होंने हमे तो अमृतदिया,
पर हमारे भाग का सारा विष ही, आजीवन ही पीते रहे.... मैं जानता हूं राजा-महाराजाओं की तरह तुम्हारा इतिहास नहीं लिखाजाएगा,
जिन पर तुमने उपकार किये थे, वो भी भूल जाएंगे तुम्हे, पर मेरे मन मंदिर में तो तुम, कभी नहीं मरोगे.... रचनाकार: कुलदीप ठाकुर kuldeepthakur
द्वारा दिनांक सोमवार, मई 22,2017
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कृपा करना मां हाटेशवरी रक्षा करना सदा मेरी। मेरा ये नशवर जीवन, महकाए सदा औरों का उपवन, हृदय में रहे सदा देश प्रेम, करूं सदा मैं काम नेक, फूल हूं या शूल हूं मैं, मैं खुद भी नहीं जानता। मेरा देश हिंदूस्तान है जो सभ्यता सब से महान है, दिखाती है गीता पथ, ये मिला मुझे वर्दान है। मुझे वेदों का उपहार मिला है, मां हाटेशवरी से प्यार मिला है, मेरे आदर्श श्री राम हैं, कंठ में शिव नाम है, विवेका नंद का धर्म है मेरा यही मेरी पहचान है। मंगलवार, अप्रैल 11, 2017 ...केवल संस्कार दो... शूल की चुभन, बहुत पीड़ा देती है,पर शायद
उतनी पीडा नहीं, जितनी फूल की चुभन, ....देती है....वो बेटे
भूल चुके हैं सब कुछ अपने मां-बाप को भी, उन के सप नों को भी, जिन्हे याद है अब ...केवल नशा ...जो माएं
मांगती रही दुआ लंबी आयु की अपने बेटों के लिये आज वो भी अपनी दुआ में,....
अपनी खुशियांं ही मांग रहीहै...
वो माएं सब से यही कह रही है बच्चों के लिये न मांगो लंबी आयु की दुआ न धन दौलत ...केवल संस्कार दो... रचनाकार: कुलदीप ठाकुर kuldeepthakur
द्वारा दिनांक मंगलवार, अप्रैल 11, 2017Reactions:
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kuldeep thakur
कृपा करना मां हाटेशवरी रक्षा करना सदा मेरी। मेरा ये नशवर जीवन, महकाए सदा औरों का उपवन, हृदय में रहे सदा देश प्रेम, करूं सदा मैं काम नेक, फूल हूं या शूल हूं मैं, मैं खुद भी नहीं जानता। मेरा देश हिंदूस्तान है जो सभ्यता सब से महान है, दिखाती है गीता पथ, ये मिला मुझे वर्दान है। मुझे वेदों का उपहार मिला है, मां हाटेशवरी से प्यार मिला है, मेरे आदर्श श्री राम हैं, कंठ में शिव नाम है, विवेका नंद का धर्म है मेरा यही मेरी पहचान है। बुधवार, फ़रवरी 01, 2017 तुम बैठे हो आसन पर आज हम शोर मचाएंगे, तुम बैठे हो आसन पर आज हम शोर मचाएंगे, तुम्हारे अच्छे कामों कोभी,
मिट्टी में ही मिलाएंगे... तुमने भी यही किया, अब हम भी यही करेंगे, पहले तुमने हमे गिराया, अब फिर तुम्हे गिराएंगे... जंता तो है घरों में बैठी, वो क्या जाने सत्य क्या है, किसी पर झूठे आरोप लगे हैं, कोई दोषी भी बच जाएंगे... कभी जो गले मिलते थे, आज हाथ भी नहीं मिलाते, ये राजनितिक समिकरण है भाई, क्या पता फिर एक हो जाएंगे... कभी दल बदला, कभी दल बनाया, कभी गधे को भी बाप बनाया, जानते हैं ये जनता को, कुछ दिनों में सब भूल जाएंगे... रचनाकार: कुलदीप ठाकुर kuldeepthakur
द्वारा दिनांक बुधवार, फ़रवरी 01, 2017Reactions:
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लोकतंत्रkuldeep thakur
कृपा करना मां हाटेशवरी रक्षा करना सदा मेरी। मेरा ये नशवर जीवन, महकाए सदा औरों का उपवन, हृदय में रहे सदा देश प्रेम, करूं सदा मैं काम नेक, फूल हूं या शूल हूं मैं, मैं खुद भी नहीं जानता। मेरा देश हिंदूस्तान है जो सभ्यता सब से महान है, दिखाती है गीता पथ, ये मिला मुझे वर्दान है। मुझे वेदों का उपहार मिला है, मां हाटेशवरी से प्यार मिला है, मेरे आदर्श श्री राम हैं, कंठ में शिव नाम है, विवेका नंद का धर्म है मेरा यही मेरी पहचान है। शनिवार, जनवरी 28, 2017 हम हिंदूस्तान को भूल गये, इंडिया-इंडिया कहते-कहते, हम हिंदूस्तान को भूल गये, आजाद हो गये लेकिन फिर भी, अपनी पहचान ही भूल गये।... जलाते हैं दिवाली मेंपटाखे,
खेलते हैं रंगों से होली, याद रहा रावण को जलाना, राम-कृष्ण को भूल गये... नहीं पता अब बच्चों को, बुद्ध, महावीर, गोविंद कौनहैं?
मुगलों का इतिहास याद है, पृथवीराज, राणा को भूल गये... मां-बाप को आश्रम में भेजकर, घर में हैं कुत्ते पाले, फेसबुक, ट्वीटर पर दोस्तकई हैं,
अपने परिवार को भूल गये... इतिहास में पढ़ाते हैं, कब कब किसने यहां शासन किया, हम क्यों विदेशियों के गुलाम हुए, ये पढ़ाना ही भूल गये... वापिस लाओ, अपना स्वर्णिमअतीत,
वो संस्कृति, वो सभ्यता, वर्ना हो जाएंगे फिर गुलाम, अगर भारत को भूल गये... रचनाकार: कुलदीप ठाकुर kuldeepthakur
द्वारा दिनांक शनिवार, जनवरी 28, 2017Reactions:
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भारतीय संस्कृतिkuldeep thakur
कृपा करना मां हाटेशवरी रक्षा करना सदा मेरी। मेरा ये नशवर जीवन, महकाए सदा औरों का उपवन, हृदय में रहे सदा देश प्रेम, करूं सदा मैं काम नेक, फूल हूं या शूल हूं मैं, मैं खुद भी नहीं जानता। मेरा देश हिंदूस्तान है जो सभ्यता सब से महान है, दिखाती है गीता पथ, ये मिला मुझे वर्दान है। मुझे वेदों का उपहार मिला है, मां हाटेशवरी से प्यार मिला है, मेरे आदर्श श्री राम हैं, कंठ में शिव नाम है, विवेका नंद का धर्म है मेरा यही मेरी पहचान है। शुक्रवार, जनवरी 27, 2017 गणतंत्र का अर्थ, अब जानगये।
जो समझते रहे हमें वोट, हार उन्हे पहनाते रहे, गणतंत्र-दिवस मनाते-मनाते, गणतंत्र का अर्थ, अब जानगये।
दिया किसी ने आरक्षण, किसी ने सस्ती दालें दी, खाकर सभाओं में लड्डू, बस तालियां बजाते रहे, गिराकर मंदिर-मस्जिद, बस करा दिये दंगे, उनको तो मिल गया राज, हम व्यर्थ ही खून बहातेरहे।
हीरन सिंह भी एक साथ, रहते थे राम राज्य में, हम सब तो हैं इनसान, क्यों नफरत के शूल बिछातेरहे।
न देंगे हम अब वोट, जाति, धर्म क्षेत्र के नामपर,
पटेल, शास्त्रि की जगह हम, गिरगिट, उलुओं को जितातेरहे।
रचनाकार: कुलदीप ठाकुर kuldeepthakur
द्वारा दिनांक शुक्रवार, जनवरी 27, 2017Reactions:
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कुलदीप की कविता।,
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लोकतंत्रkuldeep thakur
कृपा करना मां हाटेशवरी रक्षा करना सदा मेरी। मेरा ये नशवर जीवन, महकाए सदा औरों का उपवन, हृदय में रहे सदा देश प्रेम, करूं सदा मैं काम नेक, फूल हूं या शूल हूं मैं, मैं खुद भी नहीं जानता। मेरा देश हिंदूस्तान है जो सभ्यता सब से महान है, दिखाती है गीता पथ, ये मिला मुझे वर्दान है। मुझे वेदों का उपहार मिला है, मां हाटेशवरी से प्यार मिला है, मेरे आदर्श श्री राम हैं, कंठ में शिव नाम है, विवेका नंद का धर्म है मेरा यही मेरी पहचान है। बुधवार, जनवरी 18, 2017 इस कड़ाके की सर्दी में... इस कड़ाके की सर्दी में, वो इकठ्ठा परिवार ढूंढताहूं।
दादा दादी की कहानियां, चाचा-चाची का प्यार ढूंढता हूं... खेलते थे अनेकों खेल, लगता था झमघट बच्चों का, मोबाइल, टीवी के शोर में, बच्चों का संसार ढूंढताहूं...
लगी रहती थी घर में, अतिथियों से रौनक, पल-पल सुनाई देती आहटों में, कोई पल यादगार ढूंढताहूं...
बदल गया है अब समय, आग नहीं अब हीटर जलते हैं, न जाने क्यों मैं आज भी, पुराना समय बार-बार ढूंढताहूं...
रचनाकार: कुलदीप ठाकुर kuldeepthakur
द्वारा दिनांक बुधवार, जनवरी 18, 2017Reactions:
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ठंड
kuldeep thakur
कृपा करना मां हाटेशवरी रक्षा करना सदा मेरी। मेरा ये नशवर जीवन, महकाए सदा औरों का उपवन, हृदय में रहे सदा देश प्रेम, करूं सदा मैं काम नेक, फूल हूं या शूल हूं मैं, मैं खुद भी नहीं जानता। मेरा देश हिंदूस्तान है जो सभ्यता सब से महान है, दिखाती है गीता पथ, ये मिला मुझे वर्दान है। मुझे वेदों का उपहार मिला है, मां हाटेशवरी से प्यार मिला है, मेरे आदर्श श्री राम हैं, कंठ में शिव नाम है, विवेका नंद का धर्म है मेरा यही मेरी पहचान है। शुक्रवार, जनवरी 13, 2017 दुनियां में। हम आए अकेले, इस दुनियांमें,
न लाए साथ कुछ दुनियां में, शक्स ही रहे तो मर जाएंगे, बनो शक्सियत इस दुनियांमें।
जो भी मन में प्रश्न हैं, उनका उत्तर गीता में पाओ, जब ज्ञान दिया खुद ईश्वर ने, क्यों भटक रहे हो दुनियांमें।
जो ज्ञान न मिला भिष्म को, न द्रौण को, न विदुर को, वो ही ज्ञान अब गीता का, सब के पास है दुनियां में। फिर भी सभि भ्रमित हैं, अकारण ही चिंतित हैं, न अर्जुन न दुर्योधन रहे, उनके कर्म रहे इस दुनियांमें।
रचनाकार: कुलदीप ठाकुर kuldeepthakur
द्वारा दिनांक शुक्रवार, जनवरी 13, 2017Reactions:
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कर्म
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गीता
kuldeep thakur
कृपा करना मां हाटेशवरी रक्षा करना सदा मेरी। मेरा ये नशवर जीवन, महकाए सदा औरों का उपवन, हृदय में रहे सदा देश प्रेम, करूं सदा मैं काम नेक, फूल हूं या शूल हूं मैं, मैं खुद भी नहीं जानता। मेरा देश हिंदूस्तान है जो सभ्यता सब से महान है, दिखाती है गीता पथ, ये मिला मुझे वर्दान है। मुझे वेदों का उपहार मिला है, मां हाटेशवरी से प्यार मिला है, मेरे आदर्श श्री राम हैं, कंठ में शिव नाम है, विवेका नंद का धर्म है मेरा यही मेरी पहचान है। शनिवार, नवंबर 19, 2016 उन्हे पूजता है तभी संसार... नानक के इस धरा पर, हैं गुरु आज, कई हजार, पर नानक सा नहीं है कोई, इसी लिये है अंधकार... जब भूल गये थे गीता को, श्री कृष्ण की अमर कविता को, अन्याय, अधर्म का राज्यथा,
हो रहा था शोषण जंता का। तब नानक ने गीता समझाई, गुरु ग्रंथ में लिखा सार... कहा था ये दशम गुरु ने, गुरु ग्रंथ को ही गुरुमानना,
ये गुरु कौन है, कहां से आये, फिर इन्हें गुरु क्योंमानना।
इन्हें देश धर्म की चिंतानहीं,
ये कर रहे हैं केवल व्यपार... सरकारें चाहे कुछ भी करे, ये गुरु हैं, कुछ नहींबोलते,
पांचाली के चीरहरण पर, अब भी ये न मुंह खोलते। भोली-भाली जंतां से, मांगते हैं पैसा बेशुमार... इन पर न कोई कर लगता, ये खूब मौज उड़ाते हैं, जब इनकी चोरी पकड़ी जाए, शिष्य शोर मचाते हैं। इन्हें कानून का भय नहीं, ये हैं धर्म के ठेकेदार... राम ने रावण को मारा, कृष्ण ने कंस संहारा, विष पीकर शंकर कहलाए, गोविंद ने चार सुत गवाए। युग-पुरुष वोही, जो युग कोबदले,
उन्हे पूजता है तभी संसार... रचनाकार: कुलदीप ठाकुर kuldeepthakur
द्वारा दिनांक शनिवार, नवंबर 19, 2016Reactions:
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कृपा करना मां हाटेशवरी रक्षा करना सदा मेरी। मेरा ये नशवर जीवन, महकाए सदा औरों का उपवन, हृदय में रहे सदा देश प्रेम, करूं सदा मैं काम नेक, फूल हूं या शूल हूं मैं, मैं खुद भी नहीं जानता। मेरा देश हिंदूस्तान है जो सभ्यता सब से महान है, दिखाती है गीता पथ, ये मिला मुझे वर्दान है। मुझे वेदों का उपहार मिला है, मां हाटेशवरी से प्यार मिला है, मेरे आदर्श श्री राम हैं, कंठ में शिव नाम है, विवेका नंद का धर्म है मेरा यही मेरी पहचान है। बुधवार, अक्तूबर 19, 2016 फिर क्यों होगा तलाक... जो बच्चे, मां के साथ हैं, पापा को ढूंढ़ते हैं, जिन के पास, केवल पापा हैं, वो तरसते हैं, मां की ममता को... बच्चों को आवश्यक्ता होती है, दोनों के प्रेम की, दोनों में से, एक का न होना, बच्चे का सबसे बड़ा दुर्भाग्य होता है... जो माता-पिता, तलाक के लिये, कतार में खड़ें है, वे अपने बच्चों की, जीवन की सबसे बड़ी, आवश्यक्ता छीन रहे हैं... नहीं त्याग सकते, दोनों अपने अहम को, अहम बच्चों से बड़ा है क्या? विवाह फेरों को समझो, आपस में विश्वास रखो, फिर क्यों होगा तलाक... रचनाकार: कुलदीप ठाकुर kuldeepthakur
द्वारा दिनांक बुधवार, अक्तूबर 19, 2016Reactions:
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तलाक
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विश्वासkuldeep thakur
कृपा करना मां हाटेशवरी रक्षा करना सदा मेरी। मेरा ये नशवर जीवन, महकाए सदा औरों का उपवन, हृदय में रहे सदा देश प्रेम, करूं सदा मैं काम नेक, फूल हूं या शूल हूं मैं, मैं खुद भी नहीं जानता। मेरा देश हिंदूस्तान है जो सभ्यता सब से महान है, दिखाती है गीता पथ, ये मिला मुझे वर्दान है। मुझे वेदों का उपहार मिला है, मां हाटेशवरी से प्यार मिला है, मेरे आदर्श श्री राम हैं, कंठ में शिव नाम है, विवेका नंद का धर्म है मेरा यही मेरी पहचान है। मंगलवार, अक्तूबर 11, 2016 विजयदशमी का संदेश यही है। हम जलाते हैं हर बार, पुतला केवल रावण का, जिसने अपनी बहन के अपमान का बदला लेने की खातिर सीता जी का हरण किया। न स्पर्श किया, न अपमान किया, अशोक-वाटिका में, अतिथि सा मान दिया। हम दशहरे के दिन, भूल जाते हैं, आज के उन रावणों को, जिन्हें न तीन वर्ष की बेटीकी,
मासूमियत दिखती है, न कौलिज जाने वाली बेटी की, मजबूरी ही। वे केवल मौका पाकर, उनकी जिंदगी तबाह कर देतेहैं।
आज के ये रावण भी, रावण का पुतला जलाते हैं, इन्हें दंड दिये बिना, हम कैसा दशहरा मनाते हैं। श्री राम हमारे आदर्श हैं, रावण फिर भी घूम रहे हैं, हम केवल पुतले जलाकर, मस्ति में झूम रहे हैं। रावण मेघनाथ के पुतलेजलाना,
विजयदशमी नहीं है, अधर्मियों को दंडित करना, विजयदशमी का संदेश यही है। रचनाकार: कुलदीप ठाकुर kuldeepthakur
द्वारा दिनांक मंगलवार, अक्तूबर 11, 2016Reactions:
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कुलदीप की कविता।,
नारी
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भारतीय त्योहारkuldeep thakur
कृपा करना मां हाटेशवरी रक्षा करना सदा मेरी। मेरा ये नशवर जीवन, महकाए सदा औरों का उपवन, हृदय में रहे सदा देश प्रेम, करूं सदा मैं काम नेक, फूल हूं या शूल हूं मैं, मैं खुद भी नहीं जानता। मेरा देश हिंदूस्तान है जो सभ्यता सब से महान है, दिखाती है गीता पथ, ये मिला मुझे वर्दान है। मुझे वेदों का उपहार मिला है, मां हाटेशवरी से प्यार मिला है, मेरे आदर्श श्री राम हैं, कंठ में शिव नाम है, विवेका नंद का धर्म है मेरा यही मेरी पहचान है। रविवार, सितंबर 04, 2016 मां के हाथ का भोजन ही लगताहै।
इन 32 वर्षों में, सब कुछ बदला है। पर्व, मेले, त्योहार भी, रिति-रिवाज, संस्कार भी। पीपल नीम अब काट दिये, नल, उपवन भी बांट दिये, अब चरखा भी कोई नहीं बुनता, दादा की कहानियां भी नहींसुनता।
मेरा गांव, शहर बन गया, भाईचारा अपनापन गया। पहले घर थे चार, पर नहीं थी बीच में दिवार। अब घर चालिस बन गये, सब में गेट लग गये। अब आवाज देकर नहीं बुलाते, मोबाइल से ही नंबर मिलाते। पर आज भी नहीं बदली, मेरे आनंद की वो गंगा, जिसके पास, स्नेह, ममता, त्याग, आज भी पहले से अधिक है। पर मैं जानता हूं, वो अब थक चुकी है, वो अब खाना नहीं बना सकती, पर नहीं मानती, घर में खाना वोही बनाती है। वो नहीं देना चाहती, अपना ये अधिकार किसी को,। सत्य कहूं तो, मुझे दुनियां में, सबसे अच्छा, मां के हाथ का भोजन ही लगताहै।
रचनाकार: कुलदीप ठाकुर kuldeepthakur
द्वारा दिनांक रविवार, सितंबर 04, 2016Reactions:
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मां
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संमान
kuldeep thakur
कृपा करना मां हाटेशवरी रक्षा करना सदा मेरी। मेरा ये नशवर जीवन, महकाए सदा औरों का उपवन, हृदय में रहे सदा देश प्रेम, करूं सदा मैं काम नेक, फूल हूं या शूल हूं मैं, मैं खुद भी नहीं जानता। मेरा देश हिंदूस्तान है जो सभ्यता सब से महान है, दिखाती है गीता पथ, ये मिला मुझे वर्दान है। मुझे वेदों का उपहार मिला है, मां हाटेशवरी से प्यार मिला है, मेरे आदर्श श्री राम हैं, कंठ में शिव नाम है, विवेका नंद का धर्म है मेरा यही मेरी पहचान है। गुरुवार, अगस्त 18, 2016 राखी बांधते हुए, अपने भाइयों से कह रही है। आज हर बहन खुद को असुर्क्षित महसूस कर रहीहै।
राखी बांधते हुए अपने भाइयों से कह रही है। केवल मेरी ही नहीं, हर लड़की की करना रक्षा, भयभीत है आज सभी, सभी को चाहिये सुर्क्षा। जानते हो तुम भया, दुशासन खुले घूम रहे हैं, अकेली असहाय लड़कियों को, तबाह करने के लिये ढूंढ़ रहे हैं। ये रूपए, उपहार, मुझे नहीं चाहिये, जो मिले मां-पिता से तुम में वो संस्कार चाहिये। ये रक्षा का अटूट बंधन, भारत में है सदियों पुराना, मुझे ये वचन देकर तुम भी इसे सदा निभाना। आप सभी को पावन पर्व रक्षाबंधन की असंख्य शुभकामनाएं... रचनाकार: कुलदीप ठाकुर kuldeepthakur
द्वारा दिनांक गुरुवार, अगस्त 18, 2016Reactions:
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भारतीय त्योहार,
रक्षाबंधनkuldeep thakur
कृपा करना मां हाटेशवरी रक्षा करना सदा मेरी। मेरा ये नशवर जीवन, महकाए सदा औरों का उपवन, हृदय में रहे सदा देश प्रेम, करूं सदा मैं काम नेक, फूल हूं या शूल हूं मैं, मैं खुद भी नहीं जानता। मेरा देश हिंदूस्तान है जो सभ्यता सब से महान है, दिखाती है गीता पथ, ये मिला मुझे वर्दान है। मुझे वेदों का उपहार मिला है, मां हाटेशवरी से प्यार मिला है, मेरे आदर्श श्री राम हैं, कंठ में शिव नाम है, विवेका नंद का धर्म है मेरा यही मेरी पहचान है। मंगलवार, अगस्त 16, 2016 हे भारत! आज तुम बिलकुल अकेले हो...हे भारत
आज तुम बिलकुल अकेले हो, इस महाभारत के रण में, न कृष्ण है न अर्जुन, न धर्मराज, आज विदुर भी, तुम्हारा हित नहीं चाहता। भिष्म द्रौण और कृपाचार्य की निष्ठा, आज मात्रभूमि के प्रतिनहीं,
कुर्सी के प्रति है... आज भी जंग भी, सिंहासन के लिये ही है, पर आज के राजा, तुम्हारी खुशहाली नहीं, अपनी खुशहाली चाहते हैं, अब सत्य कोई नहीं बोलते, न टीवी चैनल, न अखबार, न लेखक न कवि, न विद्वान न ज्ञानी, इस लिये जंता भी भ्रमित है। सुभाष जैसों को आज भी, कहीं नजरबंद किया जा रहाहै...
रचनाकार: कुलदीप ठाकुर kuldeepthakur
द्वारा दिनांक मंगलवार, अगस्त 16, 2016Reactions:
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आम आदमी
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कुलदीप की कविता।,
भारत
kuldeep thakur
कृपा करना मां हाटेशवरी रक्षा करना सदा मेरी। मेरा ये नशवर जीवन, महकाए सदा औरों का उपवन, हृदय में रहे सदा देश प्रेम, करूं सदा मैं काम नेक, फूल हूं या शूल हूं मैं, मैं खुद भी नहीं जानता। मेरा देश हिंदूस्तान है जो सभ्यता सब से महान है, दिखाती है गीता पथ, ये मिला मुझे वर्दान है। मुझे वेदों का उपहार मिला है, मां हाटेशवरी से प्यार मिला है, मेरे आदर्श श्री राम हैं, कंठ में शिव नाम है, विवेका नंद का धर्म है मेरा यही मेरी पहचान है। सोमवार, अगस्त 15, 2016 बच सकेगी हमारी स्वतंत्रताहै।
आप सभी को भारत के पावन पर्व स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं... जो नहीं कहते वंदे मातरम, पाकिस्तानी झंडा लहरातेहैं,
जो दे रहे हैं देश को गाली वो कौन है? वो कौन हैं? जो पनाह देते हैं, आतंकवादियों को, भारत को खंडित करना चाहतेहैं,
अफजल की फांसी का विरोध करने वाले, वो कौन है,? वो कौन हैं? ये वोही है, जिनके कारण, हमलावर देश में आये, कई वर्षों तक यहां जुल्मकिये,
मंदिर तक भी गिराए। न हिंदू हैं वो, न वो मुस्लमान हैं, न उन्होंने कभी गीता पढ़ीहै,
न पढ़ी कुराण है। जब तक जिवित हैं, जयचंद यहां, भारत मां को खतरा है, इनकी जडें उखाड़ फैंको, बच सकेगी हमारी स्वतंत्रताहै।
रचनाकार: कुलदीप ठाकुर kuldeepthakur
द्वारा दिनांक सोमवार, अगस्त 15, 2016Reactions:
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कुलदीप की कविता।,
तबाही
kuldeep thakur
कृपा करना मां हाटेशवरी रक्षा करना सदा मेरी। मेरा ये नशवर जीवन, महकाए सदा औरों का उपवन, हृदय में रहे सदा देश प्रेम, करूं सदा मैं काम नेक, फूल हूं या शूल हूं मैं, मैं खुद भी नहीं जानता। मेरा देश हिंदूस्तान है जो सभ्यता सब से महान है, दिखाती है गीता पथ, ये मिला मुझे वर्दान है। मुझे वेदों का उपहार मिला है, मां हाटेशवरी से प्यार मिला है, मेरे आदर्श श्री राम हैं, कंठ में शिव नाम है, विवेका नंद का धर्म है मेरा यही मेरी पहचान है। सोमवार, अगस्त 01, 2016 नहीं आयेगा, अब वो सावन... न बच्चों के हाथ में, कागज की कश्तियाँ न इंतजार है, परदेस से पिया का। नहीं दिखते अब झूलें बागों में, न मेलों मे रौनक, न तीज त्योहारों में। अब तो सावन डराता है, विक्राल रूप दिखाता है। कहीं बाड़ आती है, कहीं फटते हैं बादल, होती है प्रलय, करहाते हैं मानव। सूखे नाले भी कोहराम मचाते हैं, गांव, शहर, बहा ले जाते हैं। न वो हरियाली, न वो रौनक, नहीं आयेगा, अब वो सावन... रचनाकार: कुलदीप ठाकुर kuldeepthakur
द्वारा दिनांक सोमवार, अगस्त 01, 2016Reactions:
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आपदा
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कुलदीप की कविता।,
सावन
kuldeep thakur
कृपा करना मां हाटेशवरी रक्षा करना सदा मेरी। मेरा ये नशवर जीवन, महकाए सदा औरों का उपवन, हृदय में रहे सदा देश प्रेम, करूं सदा मैं काम नेक, फूल हूं या शूल हूं मैं, मैं खुद भी नहीं जानता। मेरा देश हिंदूस्तान है जो सभ्यता सब से महान है, दिखाती है गीता पथ, ये मिला मुझे वर्दान है। मुझे वेदों का उपहार मिला है, मां हाटेशवरी से प्यार मिला है, मेरे आदर्श श्री राम हैं, कंठ में शिव नाम है, विवेका नंद का धर्म है मेरा यही मेरी पहचान है। मंगलवार, जुलाई 19, 2016 पर भविष्य से खेलते हैं... मैं एकलव्य हूं, मेरी रुह आहत नहीं हुई, जब गुरु द्रोणाचार्य ने अर्जुन को विश्व का सर्वश्रेष्ठ धर्नुधारी बनाने के लिये मुझ से गुरु-दक्षिणा में, मेरे दाहिने हांथ का अँगूठा मांगा था... मेरे गुरु ने तो केवल मेरे दाहिने हांथ का अँगूठा ही मांगा था जो सहहर्ष मैंने दे दिया था, आज मेरा नाम तो, गुरु द्रोणाचार्य और अर्जुन से भी अधिक आदर से लिया जाता है... न मेरा जन्म राजवंश मेंहुआ,
न मेरा ऊंचा कुल था, न सर्वश्रेष्ठ बनने कीकामना,
मेरी गुरु पर श्रधा थी, एकग्रता ने मुझे पहचान दी मेरी निष्ठा ही मेरे कामआयी...
आज न मैं हूं, न मेरे गुरु द्रोणाचार्य न वो शिक्षा रहीं, न सत्य को लिखने वाले, अगर आज मेरे साथ वो अन्यायहोता,
तो सत्य दब जाता कागजों मेंही...
आज मेरी रुह भी आहत है, जब देखता हूं, सुनता हूं, उन गुरुओं के बारे में, जिनकी निष्ठा पैसे पर है, जो गुरु-दक्षिणा तो नहींमांगते,
पर भविष्य से खेलते हैं... रचनाकार: कुलदीप ठाकुर kuldeepthakur
द्वारा दिनांक मंगलवार, जुलाई 19, 2016Reactions:
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कुलदीप की कविता।,
महाभारतkuldeep thakur
कृपा करना मां हाटेशवरी रक्षा करना सदा मेरी। मेरा ये नशवर जीवन, महकाए सदा औरों का उपवन, हृदय में रहे सदा देश प्रेम, करूं सदा मैं काम नेक, फूल हूं या शूल हूं मैं, मैं खुद भी नहीं जानता। मेरा देश हिंदूस्तान है जो सभ्यता सब से महान है, दिखाती है गीता पथ, ये मिला मुझे वर्दान है। मुझे वेदों का उपहार मिला है, मां हाटेशवरी से प्यार मिला है, मेरे आदर्श श्री राम हैं, कंठ में शिव नाम है, विवेका नंद का धर्म है मेरा यही मेरी पहचान है। शुक्रवार, जुलाई 08, 2016 कलयुग में राम अवतार का... आतंकवाद का जन्म भूख से हुआ, जेहाद के कारण, पला-बढ़ा, जैसे त्रेता युग में, राक्षसों ने था आतंक मचाया, वैसे ही सारी दुनिया में, भय है आतंकवाद का... आतंकवादी तो बेचारा, क्या करे हालात का मारा, खिलौने नहीं, शस्त्र मिले, प्रेम नहीं, डंडे खाए, ज्ञान नहीं, जनून बढ़ाया, मन से मौत का भय मिटाया। न जीवन का मोह, न प्रेम किसी से.... ये दानव भी नहीं, महा दानव है कोई, न धर्म है इनका, न इमान कोई। कांपती है भारत मां जब, सुनते हैं पुकार देवता सब, समझो समय आ गया है, कलयुग में राम अवतार का... रचनाकार: कुलदीप ठाकुर kuldeepthakur
द्वारा दिनांक शुक्रवार, जुलाई 08, 2016Reactions:
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आतंकवाद,
कुलदीप की कविता।kuldeep thakur
कृपा करना मां हाटेशवरी रक्षा करना सदा मेरी। मेरा ये नशवर जीवन, महकाए सदा औरों का उपवन, हृदय में रहे सदा देश प्रेम, करूं सदा मैं काम नेक, फूल हूं या शूल हूं मैं, मैं खुद भी नहीं जानता। मेरा देश हिंदूस्तान है जो सभ्यता सब से महान है, दिखाती है गीता पथ, ये मिला मुझे वर्दान है। मुझे वेदों का उपहार मिला है, मां हाटेशवरी से प्यार मिला है, मेरे आदर्श श्री राम हैं, कंठ में शिव नाम है, विवेका नंद का धर्म है मेरा यही मेरी पहचान है। मंगलवार, जून 28, 2016 मैंने घर नहीं, एक मकान बनाया है.... आज सुबह फिर मेरे पड़ोस से, हंसमुख दादा की वोही आवज सुनाई दी, "अब हाथ में लाठी, आंख पे ऐनक, थके पांव, तन पे झुर्रियाँ न मुंह में दांत, झड़ गये बाल बोलो बेटा अब कहां जाऊं"... याद आया मुझे, एक दिन खलियान में, हंस मुख दादा, अपने मित्र से रोते हुए बोले थे, "एक ख्वाइश थी, अपना घर हो, ख्वाइश पूरी करने के लिये, दिन रात एक किये, घर बन भी गया, पर आज पता चला, मैंने घर नहीं, एक मकान बनाया है".... रचनाकार: कुलदीप ठाकुर kuldeepthakur
द्वारा दिनांक मंगलवार, जून28, 2016
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कुलदीप की कविता।,
बुढ़ापाkuldeep thakur
कृपा करना मां हाटेशवरी रक्षा करना सदा मेरी। मेरा ये नशवर जीवन, महकाए सदा औरों का उपवन, हृदय में रहे सदा देश प्रेम, करूं सदा मैं काम नेक, फूल हूं या शूल हूं मैं, मैं खुद भी नहीं जानता। मेरा देश हिंदूस्तान है जो सभ्यता सब से महान है, दिखाती है गीता पथ, ये मिला मुझे वर्दान है। मुझे वेदों का उपहार मिला है, मां हाटेशवरी से प्यार मिला है, मेरे आदर्श श्री राम हैं, कंठ में शिव नाम है, विवेका नंद का धर्म है मेरा यही मेरी पहचान है। शुक्रवार, जून 17, 2016 अब क्या करें? शौक आदत बन गयी अब क्या करें? नशा है जहर अब क्या करें? आशाएं मां-बाप की दर दर भटक रही, उनके बिखरे अर्मानों का, अब क्या करें? समझाया था बहुत न सुनी तब किसी की, ओ समझाने वालों बताओ, अब क्या करें? न होष है खुद की न पास है कोई हितेशी, जीवन है अनुमोल, अब क्या करें? वो दोस्त भी तबाह है जिसके साथ धुआं उड़ाया, जेब भी है खाली, अब क्या करें? ऐ दोस्त तुने मुझे, नशे की जगह जहर दिया होता, न जीना पड़ता इस हाल में, अब क्या करें? रचनाकार: कुलदीप ठाकुर kuldeepthakur
द्वारा दिनांक शुक्रवार,जून 17, 2016
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कुलदीप की कविता।,
जहर
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तबाही
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नशा
kuldeep thakur
कृपा करना मां हाटेशवरी रक्षा करना सदा मेरी। मेरा ये नशवर जीवन, महकाए सदा औरों का उपवन, हृदय में रहे सदा देश प्रेम, करूं सदा मैं काम नेक, फूल हूं या शूल हूं मैं, मैं खुद भी नहीं जानता। मेरा देश हिंदूस्तान है जो सभ्यता सब से महान है, दिखाती है गीता पथ, ये मिला मुझे वर्दान है। मुझे वेदों का उपहार मिला है, मां हाटेशवरी से प्यार मिला है, मेरे आदर्श श्री राम हैं, कंठ में शिव नाम है, विवेका नंद का धर्म है मेरा यही मेरी पहचान है। मंगलवार, मई 17, 2016 हम बंद कमरों में बैठे हैं हम बंद कमरों में बैठे हैं, पंछी तो गीत गाते हैं, मां के पास वक्त नहीं है, बच्चे लोरी सुनना चाहतेहैं।
न कल कल झरनों नदियों की, न किलकारियां मासूम बच्चोंकी,
संगीत नहीं है जीवन में, निरसता में पल बिताते हैं। वर्षों बाद गया चमन में, लगा जैसे स्वर्ग यहीं है, क्रितरिम हवा पानी से, हम अपनी उमर घटाते हैं। होता है जब घरों में बंटवारा, सूई तक भी बांटी जाती है, मां-बाप नहीं बंटते, न कोई उनको पाना चाहते हैं। पैसा है उपयोग के लिये, हम उपयोग मानव का करते हैं, जोड़-जोड़ के पैसा रखते, मानव को दूर भगाते हैं। रचनाकार: कुलदीप ठाकुर kuldeepthakur
द्वारा दिनांक मंगलवार, मई17, 2016
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जिंदगी
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जीवन का लक्ष्य,
भागदौड़kuldeep thakur
कृपा करना मां हाटेशवरी रक्षा करना सदा मेरी। मेरा ये नशवर जीवन, महकाए सदा औरों का उपवन, हृदय में रहे सदा देश प्रेम, करूं सदा मैं काम नेक, फूल हूं या शूल हूं मैं, मैं खुद भी नहीं जानता। मेरा देश हिंदूस्तान है जो सभ्यता सब से महान है, दिखाती है गीता पथ, ये मिला मुझे वर्दान है। मुझे वेदों का उपहार मिला है, मां हाटेशवरी से प्यार मिला है, मेरे आदर्श श्री राम हैं, कंठ में शिव नाम है, विवेका नंद का धर्म है मेरा यही मेरी पहचान है। शनिवार, मई 07, 2016 काम नहीं नाम बिकता है... सरहदों पर खड़े हैं रक्षक घर से दूर मां की रक्षा के लिये। पर हम नहीं जानते उन्हें बच्चे भी नहीं पहचानतेउन्हें
क्योंकि उनकी लाइव कर्वेज नहीं होती। वे अभिनय भी नहीं कर रहेहैं।
उनका भाग्य मैदानों में लगने वाले चौकों छक्कों पर निर्भर नहीं होता। कहते हैं न, जो दिखता है, वोही बिकताहै।
एक किसान सब से अधिक काम करता है, सुबह से शाम तक, रात को भी नहीं सोता, रखवाली करता है फसल की। चिंता सताती है कर्ज की। कई बार तो दुखी होकर आत्महत्या भी कर देता है। क्योंकि वो जानता है हमारे देश में काम नहीं नाम बिकता है... रचनाकार: कुलदीप ठाकुर kuldeepthakur
द्वारा दिनांक शनिवार, मई 07,2016
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क्रांतिकारीkuldeep thakur
कृपा करना मां हाटेशवरी रक्षा करना सदा मेरी। मेरा ये नशवर जीवन, महकाए सदा औरों का उपवन, हृदय में रहे सदा देश प्रेम, करूं सदा मैं काम नेक, फूल हूं या शूल हूं मैं, मैं खुद भी नहीं जानता। मेरा देश हिंदूस्तान है जो सभ्यता सब से महान है, दिखाती है गीता पथ, ये मिला मुझे वर्दान है। मुझे वेदों का उपहार मिला है, मां हाटेशवरी से प्यार मिला है, मेरे आदर्श श्री राम हैं, कंठ में शिव नाम है, विवेका नंद का धर्म है मेरा यही मेरी पहचान है। पुराने पोस्ट मुख्यपृष् सदस्यता लें संदेश (Atom) मेरे बारे में* kuldeep thakur
Rohru ,
Himachal, India
कृपा करना मां हाटेशवरी रक्षा करना सदा मेरी। मेरा ये नशवर जीवन, महकाए सदा औरों का उपवन, हृदय में रहे सदा देश प्रेम, करूं सदा मैं काम नेक, फूल हूं या शूल हूं मैं, मैं खुद भी नहीं जानता। मेरा देश हिंदूस्तान है जो सभ्यता सब से महान है, दिखाती है गीता पथ, ये मिला मुझे वर्दान है। मुझे वेदों का उपहार मिला है, मां हाटेशवरी से प्यार मिला है, मेरे आदर्श श्री राम हैं, कंठ में शिव नाम है, विवेका नंद का धर्म है मेरा यही मेरी पहचान है। मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें कुलदीप ठाकुर... कुल पेज दृश्य0
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ये भी मेरे ही उपवन के सुमनहैं।
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ये केवल सफेद छड़ी नहीं, दृष्टिहीनों की पहचान है.... दुनिया भर की दृष्टिबाधित आबादी का बहुत बड़ा हिस्सा हमारे देश भारत में निवास करता है | दृष्टिबाधित आबादी की आँखे है उनके हाथो से सटी रहने ...*
पर खुद भूखे मर रहे हैं। किसान आज से नहीं, सदियों से आत्महत्या कर रहे हैं, उगाते तो हम अनाज हैं, पर खुद भूखे मर रहे हैं। मैंने एक और किसान कि आत्महत्या के बाद आंद...*
तो हम कह सकेंगे कि नशा जहरहै...
कौन कहता है नशा जहर है, जहर मारता है केवल एक बार, नशे से मरते हैं बार बार... जहर को पीकर, मरते हैं केवल खुद, नशा लेने वाला, मारता हैंऔरो...
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आप की जुदाई पर। सिस्कियाँ लेकर आया सवेरा, उदास है हरेक चेहरा, सूनी है प्रकृति सारी, आप की जुदायी पर। न हैं फूलों पर मुस्कान, न गा रहे हैं विहगगान। ...
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बोझ बैग का उठाना है मुशकिल, बोझ बैग का उठाना है मुशकिल, करेंगे कैसे ये पढ़ाई, खेल के लिये वक्त नहीं है, चेहरे पे है उदासी छाई... पग-पग पे स्कूल खुले हैं, फिर घरों ...*
प्रीय तिमिर मैं और तुम साथ हैं तब से जब से मैं आया हूं यहां... क्या कहा था ईश्वर ने तुमसे जब तुम्हे मेरे पास भेजा था मेरे जन्म के साथ ही... मुझेतो याद...
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जय, जय, जय शोभन सरकार... आने वाले हैं अब चुनाव, कहां है सौना मुझे बताओ, कृपा करो मुझ पर अब, जय, जय, जय शोभन सरकार... मिलता मुझे येसौना सारा, चमक ...*
जिंदगी
मुझे पूरा ऐतवार था तुझ पर जिंदगी, सब कुछ अपना निसार किया तुझ पर जिंदगी। तु तो वक्त के हाथ की कठपुतली है, मैं यूं ही गुमान करता रहातुझ...
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तुम तो खुद भी औरत हो आयी थी मैंजब इस घर में, कहां था मैंने तुम को मां, तुमने भी बड़े प्रेम से, मुझे बेटी कहकर पुकारा था, आज तुम्ही कह रही हो, क्या दिया तुम्हे,...FOLLOW BY EMAIL
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