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BOL SKHEE RE (साहित्यिक सरोकारों से प्रतिबद्ध)TRANSLATE THIS PAGE A Hindi blog of Quotes , poetry and stories. The words of Voiceless ( बातें जो अब भी बंद होठों के भीतर दबी हैं , भावनाएं जो शब्दों का शरीर पाने के लिए तड़प रही हैं , कहे गए शब्दों के अन्दर छुपी BOL SKHEE RE (साहित्यिक सरोकारों से प्रतिबद्ध): …TRANSLATE THIS PAGE The words of Voiceless ( बातें जो अब भी बंद होठों के भीतर दबी हैं , भावनाएं जो शब्दों का शरीर पाने के लिए तड़प रही हैं , कहे गए शब्दों के अन्दर छुपी कहानियां और समय से दो BOL SKHEE RE (साहित्यिक सरोकारों से प्रतिबद्ध): …TRANSLATE THIS PAGE Reviewed on CAF: Michelle 5504 Independent and Upscale Incall, Outcall, Rural Outcall too Multihour/Overnight Specials Available Party Friendly & 420 Friendly GFE Friendly Greek Friendly Toys, Lingerie & Outfit Requests Fetishes & Roleplay Non-rushed Satistisfactory Service Safe, Discreet, Always Private No BB Services or DFK No Car Dates No Fake Texting/Blocked Calls/Time-Wasters COMMENTS ON BOL SKHEE RE (साहित्यिक सरोकारों से प्रतिबद्ध शुक्रिया पम्मी दी सादर कही अनकही https://www.blogger.com/profile/11873763895716607837noreply@blogger.com
BOL SKHEE RE (साहित्यिक सरोकारों से प्रतिबद्ध)TRANSLATE THIS PAGE The words of Voiceless ( बातें जो अब भी बंद होठों के भीतर दबी हैं , भावनाएं जो शब्दों का शरीर पाने के लिए तड़प रही हैं , कहे गए शब्दों के अन्दर छुपी कहानियां और समय से दो BOL SKHEE RE (साहित्यिक सरोकारों से प्रतिबद्ध): …TRANSLATE THIS PAGE सादर नमस्कार , आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (16-2-21) को "माता का करता हूँ वन्दन"(चर्चा अंक-3979) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रितहै।
BOL SKHEE RE (साहित्यिक सरोकारों से प्रतिबद्ध)TRANSLATE THIS PAGE A Hindi blog of Quotes , poetry and stories. The words of Voiceless ( बातें जो अब भी बंद होठों के भीतर दबी हैं , भावनाएं जो शब्दों का शरीर पाने के लिए तड़प रही हैं , कहे गए शब्दों के अन्दर छुपी BOL SKHEE RE (साहित्यिक सरोकारों से प्रतिबद्ध): …TRANSLATE THIS PAGE The words of Voiceless ( बातें जो अब भी बंद होठों के भीतर दबी हैं , भावनाएं जो शब्दों का शरीर पाने के लिए तड़प रही हैं , कहे गए शब्दों के अन्दर छुपी कहानियां और समय से दो BOL SKHEE RE (साहित्यिक सरोकारों से प्रतिबद्ध): …TRANSLATE THIS PAGE Reviewed on CAF: Michelle 5504 Independent and Upscale Incall, Outcall, Rural Outcall too Multihour/Overnight Specials Available Party Friendly & 420 Friendly GFE Friendly Greek Friendly Toys, Lingerie & Outfit Requests Fetishes & Roleplay Non-rushed Satistisfactory Service Safe, Discreet, Always Private No BB Services or DFK No Car Dates No Fake Texting/Blocked Calls/Time-Wasters COMMENTS ON BOL SKHEE RE (साहित्यिक सरोकारों से प्रतिबद्ध शुक्रिया पम्मी दी सादर कही अनकही https://www.blogger.com/profile/11873763895716607837noreply@blogger.com
BOL SKHEE RE (साहित्यिक सरोकारों से प्रतिबद्ध): …TRANSLATE THIS PAGE We provide 100% safe all kind of hacking services. Professional hacker for hire, Best website to hire hacker, How to hire a professional hacker, Website to hire hackers online, Hack email password online, Hire a hacker, hire a hacker online, hire a professional hacker, Professional ethical hacker for hire , professional hacker for hire, professional hackers for hire, Professional website BOL SKHEE RE (साहित्यिक सरोकारों से प्रतिबद्ध): …TRANSLATE THIS PAGE The words of Voiceless ( बातें जो अब भी बंद होठों के भीतर दबी हैं , भावनाएं जो शब्दों का शरीर पाने के लिए तड़प रही हैं , कहे गए शब्दों के अन्दर छुपी कहानियां और समय से दो BOL SKHEE RE (साहित्यिक सरोकारों से प्रतिबद्ध)TRANSLATE THIS PAGE A Hindi blog of Quotes , poetry and stories. The words of Voiceless ( बातें जो अब भी बंद होठों के भीतर दबी हैं , भावनाएं जो शब्दों का शरीर पाने के लिए तड़प रही हैं , कहे गए शब्दों के अन्दर छुपी BOL SKHEE RE (साहित्यिक सरोकारों से प्रतिबद्ध): …TRANSLATE THIS PAGE The words of Voiceless ( बातें जो अब भी बंद होठों के भीतर दबी हैं , भावनाएं जो शब्दों का शरीर पाने के लिए तड़प रही हैं , कहे गए शब्दों के अन्दर छुपी कहानियां और समय से दो BOL SKHEE RE (साहित्यिक सरोकारों से प्रतिबद्ध): …TRANSLATE THIS PAGE The words of Voiceless ( बातें जो अब भी बंद होठों के भीतर दबी हैं , भावनाएं जो शब्दों का शरीर पाने के लिए तड़प रही हैं , कहे गए शब्दों के अन्दर छुपी कहानियां और समय से दो BOL SKHEE RE (साहित्यिक सरोकारों से प्रतिबद्ध)TRANSLATE THIS PAGE उन्होंने मछलियों से प्रेम किया. खींच लाये उन्हें पानी से बाहर, भले ही इस बीच वे ज़िंदा से मृत हो चुकी थीं; पानी जो उनका लिबास था. घर थाऔर
BOL SKHEE RE (साहित्यिक सरोकारों से प्रतिबद्ध): …TRANSLATE THIS PAGE सादर नमस्कार , आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (16-2-21) को "माता का करता हूँ वन्दन"(चर्चा अंक-3979) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रितहै।
BOL SKHEE RE (साहित्यिक सरोकारों से प्रतिबद्ध)TRANSLATE THIS PAGE A Hindi blog of Quotes , poetry and stories. The words of Voiceless ( बातें जो अब भी बंद होठों के भीतर दबी हैं , भावनाएं जो शब्दों का शरीर पाने के लिए तड़प रही हैं , कहे गए शब्दों के अन्दर छुपी BOL SKHEE RE (साहित्यिक सरोकारों से प्रतिबद्ध): …TRANSLATE THIS PAGE The words of Voiceless ( बातें जो अब भी बंद होठों के भीतर दबी हैं , भावनाएं जो शब्दों का शरीर पाने के लिए तड़प रही हैं , कहे गए शब्दों के अन्दर छुपी कहानियां और समय से दो BOL SKHEE RE (साहित्यिक सरोकारों से प्रतिबद्ध): …TRANSLATE THIS PAGE Reviewed on CAF: Michelle 5504 Independent and Upscale Incall, Outcall, Rural Outcall too Multihour/Overnight Specials Available Party Friendly & 420 Friendly GFE Friendly Greek Friendly Toys, Lingerie & Outfit Requests Fetishes & Roleplay Non-rushed Satistisfactory Service Safe, Discreet, Always Private No BB Services or DFK No Car Dates No Fake Texting/Blocked Calls/Time-Wasters BOL SKHEE RE (साहित्यिक सरोकारों से प्रतिबद्ध): …TRANSLATE THIS PAGE The words of Voiceless ( बातें जो अब भी बंद होठों के भीतर दबी हैं , भावनाएं जो शब्दों का शरीर पाने के लिए तड़प रही हैं , कहे गए शब्दों के अन्दर छुपी कहानियां और समय से दो COMMENTS ON BOL SKHEE RE (साहित्यिक सरोकारों से प्रतिबद्ध सुंदर! Roli Abhilasha http://lifeisash.blogspot.comnoreply@blogger.com
tag:blogger.com,1999:blog-1468267779286801048.post-87606527263556701952021-03-15T04
BOL SKHEE RE (साहित्यिक सरोकारों से प्रतिबद्ध)TRANSLATE THIS PAGE उन्होंने मछलियों से प्रेम किया. खींच लाये उन्हें पानी से बाहर, भले ही इस बीच वे ज़िंदा से मृत हो चुकी थीं; पानी जो उनका लिबास था. घर थाऔर
BOL SKHEE RE (साहित्यिक सरोकारों से प्रतिबद्ध): …TRANSLATE THIS PAGE सादर नमस्कार , आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (16-2-21) को "माता का करता हूँ वन्दन"(चर्चा अंक-3979) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रितहै।
BOL SKHEE RE (साहित्यिक सरोकारों से प्रतिबद्ध)TRANSLATE THIS PAGE A Hindi blog of Quotes , poetry and stories. The words of Voiceless ( बातें जो अब भी बंद होठों के भीतर दबी हैं , भावनाएं जो शब्दों का शरीर पाने के लिए तड़प रही हैं , कहे गए शब्दों के अन्दर छुपी BOL SKHEE RE (साहित्यिक सरोकारों से प्रतिबद्ध): …TRANSLATE THIS PAGE The words of Voiceless ( बातें जो अब भी बंद होठों के भीतर दबी हैं , भावनाएं जो शब्दों का शरीर पाने के लिए तड़प रही हैं , कहे गए शब्दों के अन्दर छुपी कहानियां और समय से दो BOL SKHEE RE (साहित्यिक सरोकारों से प्रतिबद्ध): …TRANSLATE THIS PAGE Reviewed on CAF: Michelle 5504 Independent and Upscale Incall, Outcall, Rural Outcall too Multihour/Overnight Specials Available Party Friendly & 420 Friendly GFE Friendly Greek Friendly Toys, Lingerie & Outfit Requests Fetishes & Roleplay Non-rushed Satistisfactory Service Safe, Discreet, Always Private No BB Services or DFK No Car Dates No Fake Texting/Blocked Calls/Time-Wasters BOL SKHEE RE (साहित्यिक सरोकारों से प्रतिबद्ध): …TRANSLATE THIS PAGE The words of Voiceless ( बातें जो अब भी बंद होठों के भीतर दबी हैं , भावनाएं जो शब्दों का शरीर पाने के लिए तड़प रही हैं , कहे गए शब्दों के अन्दर छुपी कहानियां और समय से दो COMMENTS ON BOL SKHEE RE (साहित्यिक सरोकारों से प्रतिबद्ध शुक्रिया पम्मी दी सादर कही अनकही https://www.blogger.com/profile/11873763895716607837noreply@blogger.com
BOL SKHEE RE (साहित्यिक सरोकारों से प्रतिबद्ध): …TRANSLATE THIS PAGE A Hindi blog of Quotes , poetry and stories. The words of Voiceless ( बातें जो अब भी बंद होठों के भीतर दबी हैं , भावनाएं जो शब्दों का शरीर पाने के लिए तड़प रही हैं , कहे गए शब्दों के अन्दर छुपी BOL SKHEE RE (साहित्यिक सरोकारों से प्रतिबद्ध)TRANSLATE THIS PAGE A Hindi blog of Quotes , poetry and stories. The words of Voiceless ( बातें जो अब भी बंद होठों के भीतर दबी हैं , भावनाएं जो शब्दों का शरीर पाने के लिए तड़प रही हैं , BOL SKHEE RE (साहित्यिक सरोकारों से प्रतिबद्ध): …TRANSLATE THIS PAGE The words of Voiceless ( बातें जो अब भी बंद होठों के भीतर दबी हैं , भावनाएं जो शब्दों का शरीर पाने के लिए तड़प रही हैं , कहे गए शब्दों के अन्दर छुपी कहानियां और समय से दो COMMENTS ON BOL SKHEE RE (साहित्यिक सरोकारों से प्रतिबद्ध सुंदर! Roli Abhilasha http://lifeisash.blogspot.comnoreply@blogger.com
tag:blogger.com,1999:blog-1468267779286801048.post-87606527263556701952021-03-15T04
BOL SKHEE RE (साहित्यिक सरोकारों से प्रतिबद्ध): …TRANSLATE THIS PAGE The words of Voiceless ( बातें जो अब भी बंद होठों के भीतर दबी हैं , भावनाएं जो शब्दों का शरीर पाने के लिए तड़प रही हैं , कहे गए शब्दों के अन्दर छुपी कहानियां और समय से दो BOL SKHEE RE (साहित्यिक सरोकारों से प्रतिबद्ध) The words of Voiceless ( बातें जो अब भी बंद होठों के भीतर दबी हैं , भावनाएं जो शब्दों का शरीर पाने के लिए तड़प रही हैं , कहे गए शब्दों के अन्दर छुपी कहानियां और समय से दो - दो हाँथ करती कवितायें ) आँखों में आयी चमक की तरह कुछ चंचल Quotes..... आपके दीदार और प्रतिकियाओं का इंतज़ार कर रहे हैं....... THURSDAY, SEPTEMBER 5, 2019बचत
तुम्हारी अलकों से कुछ चांदी झरी है, कुछ गिरा है आंखों से सोने की रेत सा, झीलों के किनारों पर उग रही हैं अनुभव की लताएं, आओ कल के हिसाब में जोड़ दें हमारा प्यार, और फिक्स कर दें रिटायरमेंट के प्लान में हमारे झगड़ों की लंबी फ़ेहरिस्त, कल जब खाली हो घर, उदास हो जेब, घरों के कोने मृत्यु का आभास दें, तब निकालेंगे ये फिक्स डिपाजिट और चिढ़ाएंगे अकेलेपन को, उदासी खुद ही ढूंढ़ लेगी अपना रास्ता! हम तो बस उम्र के बोनस पर मौज मनाएंगे.... at September 05, 2019No comments:
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SUNDAY, AUGUST 18, 2019 कविता की रेसिपी जब कहने को हो बहुत कुछ तो कहो एक कविता! निकाल दो अपनी सारी भड़ास, सारे दुःख, तकलीफ़ जाहिर कर दो संसार के सामने, बिना व्यक्तिगत हुए, दोषारोपण करो वर्ग विशेषपर,
आंसुओं की बहाओ गंगा यमुना, तहज़ीब की चादर तले लिखो अनछुए एहसास, प्रेम और रोमांच के अनुभव, कोई नहीं आएगा टोकने , रोकने या तुम्हें खड़ा करने कटघरे के अंदर, तुम्हारे शब्दों की छांवमें,
छुप जाएगा सारा जहां, अपने -अपने ज़ख़्म छिपाये हुएलोग
मरहम की आस में आएंगे निकट, तुम्हारी कविता में खोजलेंगे
अपने-अपने प्रेम, अपनी आदतें, अपने रोष! कविता तब कविता नहीं होगी, होगी मानव मन का आख्यान, न कम न ज़्यादा बस संतुलित रखना कविता के सारे इंग्रीडिएंट्स... संतुष्टि की रेसपी के लिए.Aparna Bajpai
at August 18, 2019
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FRIDAY, AUGUST 16, 2019अज़नबी
मैंने उसको देखा उसने मुझे, आंखों ने दर्द की भाषा समझी, खुल गईं कुछ मुट्ठियाँ जेब के भीतर, खुले दिल, हमने अपनी अपनी गठरियाँ सरका दीं एक दूसरे के सिरोंपर,
होता रहा वार्तालाप मूक अजनबी थे दोनो ही, मुक्ति की समाधि में उतरतेहुए
दोनो की मुट्ठियाँ गुंथीथी..
Aparna Bajpai
at August 16, 2019
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SUNDAY, AUGUST 4, 2019 पानी का बुलबुला मूंद लो आंख कि हर आंख ज़ख़्मी है, हवाओं में तैर रहे हैं हिंसक छुरे, शब्दों की पूंछ में लगे हैं पलीते, हर हाँथ के झुनझुने में सुलगते शब्द; नाप रहे हैं धरती आसमान, डरना गुनाह है, डराना मज़हब, सूखे ठूंठ की फुनगियों पर मरा पड़ा है ब्रह्मांड, आदमी की औकात बंद हो चुकी मुद्रा भर है, पानी का बुलबुला है भी और नहीं भी. अपर्णा बाजपेयीat August 04, 2019
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TUESDAY, JULY 30, 2019 अँधेरे की चादर रात और दिन में फर्क है कि... रात में पोते जा सकते हैं नंबरप्लेट, अंधेरे की चादर तले सुलाए जा सकते हैं बोलने वाले ज़िस्म, ट्रकों और ट्रेनों केचक्के
मोड़े जा सकते हैं श्मसान की ओर, रात पर्दा है गुनाह पर रात पर्दा हैसच पर....
रात में बंद होता है संसद और न्यायालय.... उठो कि रात में सो जाता हैज़मीर,
इंसान जागने के पहले होता है मूर्छा में, रात में हाँथ को हाँथ दिखतानहीं,
तो सच की क्या बिसात! अंधेरे में खून और पानी एकसा
न रंग, न दर्द ,न तड़प कुचल दो सच को...at July 30, 2019
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THURSDAY, JULY 18, 2019 फितरत (लघु कथा)फितरत
उसने ज़ोर से उस डाल को उखाड़ा और फेंक दिया हवा के साथ। मिट्टी के आंसू थे कि थमने का नाम नहीं ले रहे थे... डाल उड़ती रही ,उड़ती रही और अलग हो गई अपनी जड़ों से पर बीज तो वही थे उसके भीतर जो सौंपे थे मिट्टी ने उसे... डाल जंहा गिरी वंही जम गई, बांध ली उस जगह की मिट्टी को भी अपने साथ, फैला ली जड़ें और देने लगी ऑक्सीजन आस-पास के लोगों को... डाल का क्या उसे तो अपना धर्म निभाना था, जल, थल,वायु कुछ भी हो... उखाड़ने वाला भूल गया था शायद कि पैदाइश था वो भी किसी डाल की जो किसी और जमीन से उखाड़ कर अलग कर दी गई थी... उखाड़ने वाले ने अपना कर्म किया था और जमने वाले नेअपना...
अपनी अपनी फितरत!at July 18, 2019
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SUNDAY, JULY 14, 2019 मर गई गइया, (लघुकथा) गइया ने इस बार फ़िर बछिया जन्मी थी, क्या करती कोख का पता नहीं रहता कि नर है या मादा। बछड़े की आस में बैठा रघु मरता क्या न करता, गुस्सा तो बहुत था क्या करे! बछिया मारे तो पाप न मारे तो हर नज़र करेजा में आग फुंकजाए...
चल आज तुझे ठिकाने लगाते हैं... शाम को ले गया टहलाने और कुएं में पानी दिखाने के बहाने बस एक धक्का... और गइया कुएं में... बछिया की भी गर्दन मरोड़ फेंक आया मंदिर के पिछवाड़े... अब कलेजे में पड़ी थी ठंढक उधर औरत की लाश तैर रही थी कुंए में और मंदिर के पिछवाड़े एक मरा बच्चा मिलाथा ...
पुलिस छानबीन कर रही थी और रघु साधू के भेष में घूम रहा था वृन्दावन की गलियों में... गौशाला में डेरा डाले रघु गायों की सेवा से पाप धो रहा था और औरत को बेटी जन्माने की सज़ा मिली थी। Image credit to Shutterstockat July 14, 2019
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तुम्हारी अलकों से कुछ चांदी झरी है, कुछ गिरा है आंखों से सोने की रेत सा, झीलों के किनारों पर उग रही हैं अनुभव की लताएं, आओ कल केह...
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खरीद -फ़रोख़्त (#Human trafficking) बिकना मुश्किल नहीं न ही बेचना, मुश्किल है गायब हो जाना, लुभावने वादों और पैसों की खनक खींच लेती है इंसान को बाज़ार में, गांवो...*
मंदिर में महिलाएं अधजगी नींद सी कुछ बेचैन हैं तुम्हारी आंखें, आज काजल कुछ उदास है थकान सी पसरी है होंठों के बीच हंसी से दूर छिटक गई है खनक, आओ...*
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भीतर कौंधती है बिजली, कांप जाता है तन अनायास, दिल की धड़कन लगाती है रेस, और रक्त....जम जाता है, डर बोलता नहीं कहता नहीं, नाचत...*
उम्र का हिसाब उस दिन कुछ धागे बस यूं ही लपेट दिए बरगद में, और जोड़ने लगी उम्र का हिसाब उंगलियों पर पड़े निशान, सच ही बोलते हैं, एक पत्ता गिरा, कह गया...*
इंतज़ार एक किताब का! उसने मुझे बड़ी हसरत से उठाया था, सहलाया था मेरा अक्स, स्नेह से देखा था ऊपर से नीचे तक, आगे से पीछे तक, होंठों के पास ले जाकर ...*
बस एक ख़्वाब था छू ले कोई! बस एक ख़्वाब था छू ले कोई , सहला दे ज़रा इन ज़ख्मों को इक लम्हा अपना दे जाये और बाँट ले मेरे अफ़सानों को। कुछ नाज़ुक शब्द पिरोकर ...*
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